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________________ एक पंक्ति ७४८ १७ के नीचे ५ ७४८ ७४८ ७४८ ०४९ ७४९ ७४९ ९ ७४९ २० ७५० ५ ७५० ७५० ७५० १४ ७५० २७ २८ ७५० ७५१ ७५१ १६ ७५१ २ ७५१ ७५१ ७५२ ७५२ १४ ७५३ ३२ ८ ७९४ २७ ७५७ १४ ७५७ १४ ७५७ १६ ७५७ १८ ७५७ १२ भशुद्धता १ के खाने में २ रेराने में २ रे रकाने मिं ठिक का "" का. ५ में नरका १ क. १० دا का ५६८३४ का. १०३ १२ का ५४५ १=४५ नाम १३ १ ये ७ ६७२= ७५ גג 3 29 33 पृष्ठ १ सेक ८ प्रत्याख्यान कोणासह २ रे रकाने में अषः प्रवत्तण २ रे रकानें में यो 33 37 12 से ७ स्वष्टि ८३७ प्रतिरूप अपनी अपनी अपनी 39 २१. ८ में ये 31 का.. १ में स्थाय २ रे रकाने में गो. ४० से १ ले रकाने में सूचना पुजता अ] आर्थिकसम्म दृष्टि होने का म एक जीव की अपेक्षा मिध्यात्व गु में आहारवादक ओर तिर्यकर प्रकृतिका तरय केस रहता है। द्विक २ द्विक २ का नरका १ ० १६ २६÷८÷३४ १०३ १०२ ४११०४५ नामकर्म के १३ १ ये ७० ६३+७२= ७५१ अप्रत्यास्थान और प्रत्यास्थान कोषासहित अधःप्रवृत्त प्रयोजन ४ रो ७ सम्यग्दष्ट प्रकृतिक अपनी अपनी ये ३. " त्यान गं. ४१० मे यह सूचना २ रे रकानें में पढा जाय २ रे एकाने में अर्थात जादा होगा परमाणुकात जादा पवा १ ले रकाने के नीचे दशकरण अवस्था धूलिका दशकरण अवस्था चूलिका. १ केरखाने में
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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