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________________ क्र० स्थान सामान्य असाय १ गुण स्थान चौंतीस स्थान दर्शन ३ पर्या २ २ जीव समाम संज्ञी पं० पर्याप्त अपर्याप्त ४ प्राण प्रमत्त को० नं० १ देखी ५ संजा को० नं० १ देखो को० नं० १ देखो ६ गति, मनुष्य गति ७ इन्द्रिय जाति पंसि जाति ८ काय त्रसकाय १ : पर्याप्त नाना जीवों की अपेक्षा 3 १ प्रमत्त गुगा स्थान मनुष्य नति में जानना को० नं० १८ देखी २१ मंत्री पंचेन्द्रिय पर्याप्त कोदन ६ ६ का मंग को० नं० १८ के अनुसार जानता १० १० का भंग को० नं० १८ के समान जानना ४ • का भंग को० नं० १८ के समान जानना मनुष्य गति १ पद्रिय जाति १ चमकाय ( ५५ ) कोष्टक नं० ६ " एक जीव के नाना एक जीव के एक समय में समय में Y १ ! को० नं० १८ देखो को नं० १८ देखो ५ १ १. को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देवी १ मंग ६ का भंग | को० नं० १८ देशे 1 १ मंग ६ का भंग को० नं० १० देखो १ मन १ भंग १० का भंग १० का भंग को० नं० १० देखो को० नं० १५ देखो १ मंग १ मंग ४ का भंग ४ का भंग को० नं० १८ देखोको० नं० १८ देखी १ १ १ अपर्याप्त नाना जीवों को अपेक्षा | १ संजी पंचेन्द्रिय अपर्या को० नं० १५ देखो ३ ३ का भंग को० नं० १५. समान जानना ध रूप ६ पर्यात जानो सूचना १: पेज नं० ५.६. देखो प्रमत्त गुरण स्थान १ जीव के नाना समय में १ 13 1 १ १ प्रमत्त गुण स्थान को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देखो को० नं० १० १ देखो १ जीव के एक समय में ८ १ भंग ३ का मंग को० नं० १८ देखो * १ को० नं० १५ देखो को० नं० १८ देखो १ मंग का भग को नं० १८ देखों ७ १ मंग ७ का मंग को० नं० १८ के समान जानना को० ४ १९ मंग ७ का भंग १७ का मंग नं० १८ देखो को नं० १८ देखो १ मंग १ मंग ४ का मंग को० नं० १८ ४ का भंग ४ का भंग के समान जानना को० नं० १८ देखो को ०न० १८ देघो १ १ १
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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