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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ५
श संयत गुण स्थान
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। २ ।
६-७-८
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१
१०
(२) मनुष्य गति में ३ का भंग को० नं०१८ के सारे मंग
१ सम्यक्त्व समान
को० न०१८ देखो । को० न०१० देखो १८ संशी
१संज्ञी संजी नियंच और मनुष्य गतियों में हरेक में जानना को नं०१७-१८ देखो को.नं.१५-१८ देखो
को.नं. १७-१८ देखो। १६ पाहारक पाहारक तिर्वच और मनुष्य मतियों में हरेक में जानना को० को नं०१७-१८ देखो | को० नं० १७-१८ देखो
न०१७-१८ देखो २० उपयोग
१ उपयोग को० नं०४ देखो तिथंच भोर मनुष्य गतियों में हरेक में ६ का भंग को.नं.१७:८ देखो | को० नं०१७-१८ देखो
को नं१७-१८ के समान २१ ध्यान ११
१ मंग
१ ध्यान को नं. ४ में दिपाक- तिर्यंच और मनुष्य गनि में हरेक में ११ का भंग को.नं.१७-१- देखो को नं. १७-१८ देखो! विचय धर्म ध्यान जोड़कर को० नं. १७१८ के समान
११ ध्यान जानना २२पासव
सारे भंग अविरत ११ (हिसक के विषय नियंच और मनुष्य नति में हरेक में ३७ का भंग | को० न०१७-१८ देखो को नं.१७-१८ देखो
+ हिस्य का ५ का भंग को नं. १७-१८ के समान जानना ये ११) प्रत्याख्यान कषाय ४, मज्वलन कषाय ४, नो कवाय, मनोयोग ४, बचनयोग ४, प्रौदारिक काययोग १ ये (३.)
जान । २३ भाव ३१
सारे मंग उपशम मायिक स २, मान ३, तिथंच या भनूय्य गति घटाकर (३.)
को न. १७, देस्तो । को. नं०१७ देखो दर्शन : लब्धि ५, क्षयोप-1 (१) तिर्यच गति में २६ का भंग सामान्य के ३१ के सम सम्यक्त्व १, संयमा भंग में से क्षापिक सस्यकत्व मनुष्य गति १,ये मयम १ मनुष्य मा १ । दो घटाकर २६ का भंग को० नं०१७ के तियर गति १, कषाय ४ । ममान जानना