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________________ मूल प्रकृतियां मुरण स्थान विशेष विवरण ज्ञाना०दर्श० वेदमोह | प्रायु नाम गोत्र दय-स्थान (देखो गोल क० गा० ४५४) १ से १० गुण. में १ | १ १ | १ १ १ १ | १ । ये ८ मूल प्रकृतियों का उदय ११३ १२वें , ये ७ का उदय (मोहनीय के बिना) है। ये। अधातियों का उदय जानना। १३व १४वें उदौरणा-स्थान (देखो गो क० गा० ।५५-४२६) १ से १२ गुण में ये ४ की उदीरणा छद्यस्थ ज्ञानी करते हैं। ये १ की उदारणा सरागी करते हैं। ये २ की उदीरणा प्रमादि जीव करते हैं। ये ७ को उदीरगा ऊपर के सब जीव करते हैं। ये २ की उदीरणा घायु की स्थिति में प्रावलिमात्र काल शेष रहने पर होती है। ये ५ की ऊपर के समान । १०. सूक्ष्म सां. १वें क्षीण मोह, ये २ की भी ऊपर के समान जानना। सत्त्व-स्थान (देखो गो० क० गा० ४५७) । ये = ही प्रकृतियों की सत्ता है। १ से ११ गुण में १२वें क्षीण मोह , |१११ ये १३वें १४वें १ ० .
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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