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________________ ६ प्रमस । ५७ ६३ ५३+४ प्रत्याख्यान । कषाय-५७ जानना ऊपर के ५ .२ ५ (१५-४ । प्रत्याख्यान कषाय घटाकर) +१ . ३२+१।" ये ६.. ७ अप्रमत्त । ६१ ५७+६को० नं० | ५६ के सन =६३-२ पाहारकर्तिक २ घटाकर -६१ जानना ऊपर के ५.६+१ मानावेदनी +६ (१ -२ परति-शोक ये २ घटाकर 1.१ . २६ ३३-३ अस्थिर, अशुभ, अयश: कीति ये घटाकर २६) +पाहारकदिक २ ++५ ५६ जानना ८ अपूर्वकरण | ६२ ६११ देवायु से ६२ जानना ऊपर के ५ . ६+१ । ये ५८ जानना +३१+१+2 १ अनिवृत्तिक २८ ६२+३६ को नं० | २२ १के समान जानना ऊपर के ५.४ (६-२ निद्राप्रथला घटाकर ..४) ५ (6-४ हास्य-रति, भप जुगुप्सा ये ४ घटाकर )+१ (३१-३० को नं ५ समान - १) +१+५ये २२ जानना १. मूक्ष्मसापराय : ८. संगला कषाय ४, पुरुषवेद १,ये ५=१०३ जानना र के ५+४+१+। यशः कीर्ति +१+५-१७ जानना (देखो गो. क. गा० १५१) ११ उपशांत मोह ११९ साता वेदनीय जानना १०३+१६ को नं. १ के समान ११६ जानना १२ क्षीण मोह 18 १३ सयोग के० ११६ १४ प्रयोग के ११४+१ सातावेदनीय ये १२० जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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