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________________ २२. बंध योग्य प्रकृति १२० में से ऊपर लिखे हुये बन्ध प्रबन्ध प्रकृतियों की संख्या और नाम निम्न प्रकार जानना। देलो गो० के० मा १०३-१०४ और क्रो० नं २ । प्रदाध प्रवातियों को बन्न प्रकृतियों की गूगास्थन संध्या माम । संख्या नाम --- १ मिथ्याल आहारकटिक २, । मोकर प्र० १, ये जानना झानावरण ५ दांनावरम ६, वेदनीय २, मोहनीय २६, श्रायु ४, नाम ६७-३ =६४, गोत्र २, अन्तराय के ५ - मामादन 2-१६ को नं. १ १०१ के समान =१६ | जानना ऊपर के ५+ +२+२४ (मिथ्यात्व १, मपु सक वेद । ये २ घटाकर (२६-२-२४)+ +५१ (६४–१३ =५१ मामकर्म १३ को.नं. १ के समान) +२+५१०१. ३ मिश्र । ४. ! १६-२५ को० नं०७४। १के समान =४४ । +२ (मनुष्यायु १, देव-१, ये २) ४६ जानना ज्ञानावरण ५+६ दर्शनावरण (६-३ महानिद्रा घटाकर =६)+२ वेदनीय +१६ मोहनीय । अनन्तासुबन्धी ४, स्त्रीवेद १ ये ५ वटाकर २४ ५ - १६) नामकर्म के ६ ६.१–१५ को. नं०१ के समान घटाकर ६) उच्चगोत्र, अन्सराय के ५ये ७४ जानना। ४ असंयत ४६-३(मनध्यायु १, । मगर ,तीकर प्र० १५३ घटाकर)-(४३) जानना ऊपर के ५+ +२+१६-२ (मनुष्यायु १. देवायु १, ये २+३७ (३६ तीर्थंकर प्र०=१७) १+५ये ७७ जानना ५ देश सयत : ७ । ! ४+ (को० नं. :मान) ५३ । जानना - ऊपर के ५ . ६ +२+ १५ (१६४ अप्रत्याख्यान पाय घटाकर + +३२७ ५ को नं० के समान = ३.)+ +५ ये ६७ जानना |
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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