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________________ शैनीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०६४ आहारक में -- (E) नरक गति में १ भगत योग ।(३) नरक गनि में का भंग-की-ना १ को.. देखो को न..१६40 निनकाय चाग । १ मंग -- जोप १ भंग योग - - मा भन (दिनि भंग ग्रंग (अनिर्वच गति में है.. के भगकी नं१७ देन्यो । कोर न.२३ औ मिथकाय न को न १ दंगो देखो । जानना नय गति में : साग १ योग ।।३) मनुष्य गति में -----: मंग और न० दबों को न०१८.१ प्रो. मिश्रकाय दोग कोनं.१खा । 'देनी जानना (४, शनि म । मंग . १ योग र वर्गात म वा भंग-कोन.१९कारनं०१६ देखा। को नं १६१० मिथकाय योग देख । १ मग दोन - दया जानना कानंदेकी नाक गति में को नं. १६पो' को न रकभि मंका नं०१५ देखो कोनं०१६ जानन व जानना । १ नमक बंद जानना को.न. दो वंद कोन. १६ देखा निर्वाचननिमें | भंग नो न (२)नियंत्र में भंग वेद 301 ..मयो देवी -:-१-३-२-१ के. भंग का० २०१७ को को१७ बोनः दधी को न.१३ देखो में मनुष्य यदि सारे भग १ वेद मनुव्य मात में मारे भंग 1-1-1-1-1-1.2.1.0.7 को० नं.१देना को नं. १८:१-१-३.११ के भर को नं.१देवो की नं०१५ के भंग की न दीको००१- देवो नानंग । १२ । वननि में मारे भंग | वेद २-१-१ के भंग को. नं: १६ देखो कौर नं १६ को नं. १६ देखा, कोल नं १६ को न १६ देखो को नंची ८५ सारे भंग । मंग २५ मारे भंग १ भग । नरक गनि में को०० १६ देखो की नं.१६:14गति में को १६औ को नं०१६ २-१६ के भग : देखा ० -१६ भंग का नं०१ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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