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________________ चातास स्थान दर्शन कोष्टक नं०३४ आहारक में ----------- 1)निर्यन गति में १ धन न (२) तिर्यच गति में भंग भ ग ४-४ के भंग कोनं. १७ देखो कोल्नं०१७ दंलो. मंग वो नं०१७ देखो कोन-१७ देखो कोक १७ देखो ! को० नं० १७ देखो (३) माय गति में मार भंग । १ भंग (v) मनुष्य नति में मारे भंग १ भंग -:.-....- के अंग को देखो कोनं १५ देखो। ५-०४ के भंग को नं.१% जी कोल्न १८ दखो को नं.१० दखो । को० नं. १ देखो गति गति । र नं.१देवो । नागें न जानना चाग गति जानना । हिमाल । १ जाति । १ जाति । जाति । १जानि को न० देखो ! (३)बरक-मनुष्य-देवगति में को० नं. १६-१८-कोनं०१६-१८- (१) नरक-मनुष्य देवगन कोनं०५६-१८- कोनं. १६-१८. | १६ देखो १९ देखो ' में हरेक में १६देश १६ देखो मंत्री पं. जानि जानना १ यज्ञी १० जाति जानना को० नं०१६-१८-१९ देखो कोल्नं०१६-१-१८ देखो (२) लिच गति में जानि जानि (निर्वच गनि में जानि गानि --१ के भं को नं. १७ देलो कोन० १७ देखो ५-१ के मंगको नं१७ देखो कोन.७ देतो बोल नं. वो । __ को नं०१७ देखो । ८ काय १ काय काय वो.नं. १एन्ना नरक-मानुष्य-देवमति में को०म० १६-१८को० नं.-१४ (१) नरक-मनुष्यन्दंवगति कोन...१८- फो.नं.१३-१८. १६खो १९ देखो में हरेक में 'त्रमवाय जानना ! १ वमकाय जानना । को० म०१६-१८-१६ देखो। कोनं०१६-२८-२९ देना (2) तिर्यक गति में १काय काय । (३) तिच पनि में बाप ' काय को० ने १७ देखो कोनं०१७ देखी ६-४-1 के भंगको न०१० देखो कोन०१७ देखो कौन०१७ देनी को० नं०१३ देखो ६ योग १ भंग १ योग १ भय । १ योम कार्माण काययोग १ । मौ० मिश्रकाययोग, मौ० मिनामयोग १, । घटाकर (१४) 4. मिश्रकाययोग १, 4. मिथकाययोग १, । पा० मिथकाययोग १, । | प्रा. मिश्वकाययोग १, । ये ३ योन घटाकर (११)। ये ३ योग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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