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________________ २१ ध्यान चौतीस स्थान दर्शन २ २३ भाव ८ को० नं० १ देखो २२ आसव मिथ्यात्व ५, अविरत १२, योग ४, कषाय २५, ये ४६ जानना ४६ २८ कुज्ञान २, दर्शन २, नब्धि ५, तियंचगति १ कषाय ४, लिंग ३, कृष्ण-नील कापोत- पीवनेश्या ४, मिथ्या दर्शन १, असंयम १, ज्ञान १. प्रसिद्धत्व १, परिलामिक भाव ३ मे २८ भाव जानना ३ (१) तियंच गति में पका भंग को० नं० १७ देखो ४६ (१) सियंच गति में ३६-३८-३६-४०-४३ के भंग को० नं० १७ देखो २८ (१) तियंच गति में २४-२५-२७ के मंग को० नं० १७ देखी ( ६६६ ) कोष्टक नं० १२ १ मंग सारे भंग को० नं० १७ देखो सारे भग को० नं० १७ देखो ५ १ मान १ भंग को० नं० १७ देखी ६ (१) तियंच गति में ८ का मंग को० नं० १७ देखो We प्रो० कामयोग १, अनुभव वचन योग १ ये २ घटाकर (४४) (३) तिर्यच गति में ३७-३८-३९-४०-४३-३२३३-३४-३५-३० के भंग को० नं०] १७ देखी २७ १ भंग के मंग को० नं० १७ देखो सारे भंग १ भंग सारे मंग को० नं० १७ देखो, पीत लेश्या घटाकर (२७) को० नं० १७ देखो (१) तिच गति में २४-२४-२७-२२-२३-२५ संजो में १ ध्यान १ भंग को० नं० १७ देखो को० नं० १७ देखो १ मंग को० नं० १७ देतो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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