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________________ २६ २७ ( ६६२ ) पगाहमा-को० न०१६ से १६ देखो। बध प्रतियो-१२० भंगों का विवरण को न०१ से १२ के ममान जानना । वय प्रकृतियाँ-११३ उदययोग्य १२२ में मे एकेन्द्रिगदि जाति ४, प्रातप १, माघारगा १, मूक्ष्म १, स्थावर १, अपर्याप्त १ ये घटाकर ११३ जानना 1 इसका विवरण १० गुण. मे १०८ को नं०११।७ में से ऊपर की प्रकृतियां घटाकर १०८ जानना, रे मुग में १०६ को.२०२ के १११ में मे एकेन्द्रियादिजाति ४,स्थाबर१ये ५ वटाकर १०६बानना.रे से १२ गुण में शेष भंगों का विवरण को नं. ३ से १२ के समान जमा । सत्य प्रकृतियाँ-१४८ मंगों का विवरण को००१ से १२ के समान जानना । संख्या असंख्यात जानना । क्षेत्र--लोक का असंख्यातवां भाग जानना । स्पर्शन-लोक का असंख्यातवां भाग ८ राजु, सर्वलोक को नं० २६ के समान जानना। काल नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल जानना । एक जीव की अपेक्षा क्षुद्रभव से नवसौ (९००) सागर काल प्रमाण जानना । अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं। एक जीव की अपेक्षा क्षुद्रभव ग्रहण काल से प्रसंस्पान पुद्गल परावर्तन काल तक मंत्री न बन सके। जाति (योनि)-२६ लाख योनि जानना । (को० २०२६ देखो) दुष्प-१० लाख कोटिकूल जानना 1 ३.
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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