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________________ चौंतीस स्थान दर्शन t 3 की ० न० १६ देख (२) तिर्वच गति में २७-६५२६ २६ के मंग को० नं० १७ देवो (३) मनुष्य गति में ६६१ ) कोष्टक नं० ६ ? सारे भंग ३१-२६-३०-३३-३०- को० नं० १८ देखो ३१-२७- १-२६ २९२०-२५-२६-२५-२४-० २३-२३-२१-२०-२५२५-२६-२६ के भंग को० नं० १८ देखो (४) देवगति में सारे भंग १ भंग संयम ३१-२६-१०-१२-२६- को० नं० १७ देखो को०म० १७ देखो चारित्र ! ५ | (४११ सारे मंग २५- २३-२४-२६-२७ को नं० १६ देखो २५-२६-२६-२४-२२- | I २२-२६-२५ के भंग को० नं० १६ देखां ४ १ भंग को० नं० १८ देखो ५ ९ मंग को० नं० १६ देखो को० नं०१६ २ सम्वत्ल ? संयन्त्र आर्थिक (१) नरक गति में २५-२७ के भग को० नं० १६ देखो (२) निच गति में सारे भंग १ भंग २७-२६-२४-२२-२५० नं० १७ देखी को नं० १७ देखो सारे भग को० नं० १६ देखो संज्ञी मैं के भंग को० न० १६ देखो १ भंग को० नं०] १६ देखो के भंग को० नं० १७ देखो (३) मनुष्य गति में सारे मंग १ भंग । ३०-२८-३०-२७-२४ को १८ देखो को० नं० १८ देखो २२-२५ के मंग को० नं० १८ देखो (४) देवगति में सारे मंग १ भंग २६-२४-०-२६-२४- को० नं० ११ देखो को जं० १६ देखो २८-०३-२१-२७-२६
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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