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________________ धोतीस स्थान दर्शन क्र० स्थान सामान्य लाप १ गुप स्थान ११ ४ से १४ तक के गु० २ जीव समास संक्षी ५० वर्षात अप० ३ पर्याप्त को० नं० १ देवो पर्याप्त नाना जीवों के घपेक्षा सुफला देश नं ६२ देखो ११. था 8 ४या (१) नरक गति में (२) गति में भोगभूमि में (३) मनुष्य गति में ४ भांगभूमि में ४चा (४) देवगति में ४था १४ १ पर्याप्त अवस्था चारों ग ब में हरेक में १ ती पंचेन्द्रिय पर्याप्त ' ६४१ । कोष्टक नं० ६० एक जीव के नाना एक जीव के एक । समय में समय में + मारे गुग्गा स्थान ● गुरा० अपने अपने स्थान अपने अपने स्थान के सारे गुण स्थान सारे के गुला | में से कोई गुरंग स्थान जानना जान १ समास १ समास ! को० नं. १६ से १६ को० नं० १६ ईश्री १९ देखी | जानना को० नं० ६ १ देखी १ मंग चारों गतियों में हरेक में की नं० १६ से ६ का मंग-को० नं० १६ | देखो से १६ देखी | २६ १ भंग को० नं० १६ मे १६ देखो अपर्याप्त नाना जीवों की प्रपेक्षा ६ F क्षायिक सम्यक्त्व में १ जीव के नाना | १ जीव के एक समय में समय में भीम की प्रपेक्षा ३ का मंग-को० नं० | १६-१०-१६-१७ देखो 9 ३ था ( २ ) नरक गति में (२) तिच गति में मोभूमि में ४या (३) मनुष्य गति में ४-६-१३ ४था भोगभूमि में (४) देवगति में ४ था १ समास १ अपर्याप्त अवस्था (१) नरक- मनुष्य- देवगति को० नं० १६-१८ में और तिथेच गति में १६ र १७ देखो भोभूमि की अपेक्षा १ मंजी पं जानना को नं १६-१८-१३ और १७ देखो अपर्याप्त ३ सारे गुना अपने अपने स्थान के सारे पु स्थान जानता १ मंग (१) नरक मनुष्य-देवगति को० नं० १६-१६ में और नियंच गति में १६-१७ देखो ८ १ गु० अपने अपने स्थान के सारे मुख० में से कोई १ १० जानना गुण ० १ समास को० नं० २६१५-१६ और १७ देवो १ भंग को० नं० १६१५-१६-१७ देखी
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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