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कोष्टक नम्बर २
सासादन गुण स्थान
।।
चौतीस स्थान दर्शन २ । ३
अचूत १२ कषाय
६ का भंग
नांग भूमियां मनुष्य वीपन के नमक वेद घटाकार का मन नथा यही ह का भंग १६ स्वर्गों तक के रंदों के भी होता है - का मंग कल्पातीत महीन्द्रों के स्त्री वेद भी वट जाता है २८ कोई तीन नति
का कोई घटाकर
मंग पर्याप्त , करना
२६ भाव
३२
२६ कोई ३ गति
घटाकर
१७ का कोई १ का भंग १ कुनबधि ज्ञान कोष्टक नं. १८ ।
प्रमाण
सन्धि
लिग
असंयम
अज्ञान
प्रसिद्धव भब्यत्व
१
जीवत्व
कवाय
२४ पबगाना कोष्टक नं. १ के प्रमाण