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________________ १६ आहारक आहारक अनाहक २० उपयोग ज्ञानोपयोग ४, दर्शन|पयोग ३ ये ७ जानना २१ व्यान चौतीस स्थान दशन २२ श्राव १३ | एकत्व वितर्क अविचार, (१) सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाति व्युपरत किवा निः ये ३ घटाकर (१३) २३ भाव 65 अविरत १२. योग ११ कषाय ५१ 4 (26 १ मनुष्य गति में १ ग्राहारक जानना फो० नं० १५-१६ देख ७ (१) मनुष्य गति में ६-७७ के भंग [को० नं०] १० देखो १३ मनुष्य गति में १०-११-७-४-१ के मंग को० नं० १० देखो ४४ (१) मनुष्यगति में 1 सारे मंग १ उपयोग | को० नं० १८ देखो को नं०] १८ देखो ४२-३ ७-२२-१६-१५१४-१५-१२-११-१०-१०६ के भंग को० नं० १० देखो ( ६२० ) कोष्टक नं०८८ मारे भंग १ मंग को नं० १८ देखो को नं० १८ देखो ३६ १ को० नं० ८७ देखी (२) मनुष्य गति में ११-२५-२६-२६ के भंग को० नं० १० के २३-१०३१-३१ के हरेक मंग में ! सारे भंग १ मंग को० नं० १८ देखी को० नं० १८ देखो 7 देवगति में १-१ के भंग जानना को० नं०] १३ देख ९ मनः पर्यय ज्ञान घटाकर (4) १ भग १ ध्यान को० न० १८ देखो को०० १८ देख मार्तध्यान ४ रौद्रध्यान ४ आशा विषय घर्मध्यान ९, ये ध्यान जानना (१) देवगति में ६ का भंग को० नं० १६ देखो (१) ६-६ के भंग को० नं० १६ देखो ! | ३५. मनोयोग ४. वचनयोग ४, ओकाययोग १, घटाकर | ३५ ) (१) देवगति में ३३ ३३ ३३ के मंग को० नं० १६ देखी ये २६ क्षायिक सम्यक्त्व १, सम्यक्त्व १, मनः पर्यय ज्ञान १, स्त्री-पुरुष वेद २ द्वितीयोपशम सम्यक्त्व में १ श्रवस्था सारे भंग को० नं० १६ देखो को० नं० १६ देखो ७ | १ उपयोग I को० नं० १६ देखो को० नं०] १६ देखी १ भंग मारे मंग सारे भंग को० नं० १६ देखी सारे मंग सारे मंग को० नं० १६ देखो सारे मंग १ ध्यान १ ध्यान कोनं १६ देख १ मंग १ मंग 'को० नं० १६ देखो १ मंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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