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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०८८ द्वितीयोपशम सम्यक्त्व में | १९ देखो १२शान सारे भंग ज्ञान सारे भंग १ज्ञान केवल जान पटाकर (१) मनुष्य गति में 'को० नं१५ देखो' को नं १ | मनः पर्यय ज्ञान घटाकर ३.४.४ के मंग देखो को. २०१८ देखो (१) देवत्ति में सारे भंग १ज्ञान ३-३ के मंग-को नं० को० नं०१६ देखो को नं०१६ १६ देखो देखो १३ संयम । सारे मंग । संयम १ असंयम १ असंयम१मसंयम परिहार विशुद्धि स० (१) मनुष्य गनि में मो. नं०१५ देखो क माशि रें। घटाकर (६) १-१-२-१-१ फेमंग । देखो १ असंयम जानना को नं. १८ देखो को नं. १६ देखो १४ दर्शन सारे भंग ! १ दर्शन १दर्शन केवल दान घटाकर । ११) मनुष्य गति में को० न०१८ देखो को नं०१८ (१) देवगति में कोल नं. १६ दखो को.नं. १३ ३) ३-६-३ के भंग ३-३ के भंग-को नः | को.नं. १८ देखो १५ लेल्या सारे भंग १लेश्या शुभ लेश्या १ लेश्या को० नं० १ देखो । (१) मनुष्य गति में को नं. १८ देखो को नं०१८ । (१) देवमति में को नं० १६ देखो को० नं. १३ ६-३-१ के भंग |३-१-१ के भंग को नं. १८ देखो चो.नं. १६ देखो १६ भव्यत्व भव्य मनुष्य गनि में देवगति में १ भव्य जानना १ भव्य जानना १७ सम्यक्रव द्वितीयोशम सम्यक्त्व मनुष्य मति में देवचति में १ द्वितयोपशम सम्यक्त्व १द्वितीयोपशम सम्यवत्व जानना जानना १८ संजी मनुष्य गति में देवगति में १ संजी जानना १ मंशी जानना को. नं. १ देखो को.नं. ११ दखो देखो संझी
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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