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________________ चाँतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०८५ सासादन में (सम्यक्त्व मार्गणा का दसरा भेद) को नं०१८ देखो | (2) देवगति में सारे भंग १ उपयोग देवमति में १भग १ उपयोग | ४-४ कं भग की नं०१६ नेवो कोनं ११ देखो ५ का में को०० १६ देखी कोल्नं०१९ दखो को० नंक १६ देखो को नं०१६ देखो सारे भंग | सरेभंग च्यान को नं० १ देखो (१) नरक गति में कोनं०१६ देखो फोन०१६ देखो (३) निर्यच गति में को० न०१७ देखो 'को.नं० १७ देखो बा भंग E-- के भंग को० नं. १६ देखो को.नं.१७ देखो | (नियंच-मनुष्य गति में १ भंग ध्यान (२) मनुष्य गति में सारे भंग १ व्यान | को० नं०१५- कोन०१७-१८८-८ के भन को . नं०१८ देखो को नं०१५ देखो F- के भंग १८ देखो | देखो को नं.१८ देवरे को.नं. १७-१८ दंबो । (३) दंबगनि में | सारे भंग । १ च्यान (३) देवगति में । सारे मंग ध्यान को देखो 'कोल्नं ११ देखो ८ का भंग को० नं० १६ देखो कोन १६ देखो को न० १६ देवी को० न.१६ देखा २ पाखव | पारे भंग १ भम | पारे भंग १ भंग मिथ्यात्व, पा. मिथकाययोग १, मनोयांग , वचनयोग,। मा० मिधवापयोग १ ।। 4. मिश्रकाययोग, धोक काययोन १, पाहारक काययोग? कामणुि कापयोग 4. काययोग १, ये ७ घटाकर (५०) वे घटाकर (४७) ये १० ष्टावर:४०) (१)मन्कगति में । सारे भग भ ग (2) तिर्वत्र गति में सारे भंग १ भंग ४४ का भंग को० न०१६ देखो को.नं.१६ देखी ३२-३३-३४-३५-३६-.को. नं०१७ देखा कोनं १० देखो कोनं.१६ देवो 1३६-३८ के भंग | (नियंत्र गति में मारे भंग । १ भंग को० नं० १५ देखो । सारे भंग १ भंग ४..४५ के भंग को० न०१३ देखो कोन देखो (२) मनप्य गति में को नं. १देखो कोलन०१८ देग्यो को नं०१७ देखो ३६-३ केभंग । (३) मनुष्य मन में | मारे भंग १ भंग नोन०१८दयो । सारे भग भंग ४६-४५ के भंग कोनं-१८ देखो कान०१८ देखो (क) देवगति में को.नं.१६ देखो की नं.१६ देखो को नं०१८ देखो कोन०१६ देनी
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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