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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं. ७६ शुक्ल लेश्या में ५३ कोल नं. ७१ देखो को.नं. १७ देखो कोनं०१८ देखो (२) मनुष्य गति में मारे भंग ध्यान (२) देवगनि में सार मंग । १ ध्यान ८-8-20-1-5-1-1- फो०१८ देखो कोनं०१८ देखी ८-के भंग को० नं०१९ देखो कोनं०११ देखो 1-1--1-१० का भंग ! को० नं० १९ देखो को० नं. १५ देखो (1) दत्रगनि में मारे मंगवान को नं० १६ देखो कोनं १२ देखो वा नं ११ देखो मारे अंग भंग । सारे भंग १ भंग औ० मिथकाययोग १, अपने मान स्थान के अपने अपने स्यान मनोयोग ४, वचनयोग ४, अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान वै. मिश्रकाययोग, नारे मंग जानना कि सारे भंगों में प्रो० काययोग १, सारे भंग जानना के सारे भंगों में प्रा०मिश्रकाय योग, | मे कोई १ भंग | वं. काययोग १, कोई मंग कारिग काययोग १ जानना मा० कायवोग ., जानना ये ४ घटाकर (५) नपुंसक वेद १, (१) नियंच गति में सारं भंग १ भंग १२ पटाकर (४५) सारं मंग १ मंग ५.१-.६.१२-३5-.. कोनं०१७ देखो कोनं०१७ देखों, (१) मनुष्यगति में को० नं०१८ देखो कोनं०१८ देखो ४५-४१ भग ४६-३६-३३-१२-२-१। को . १७ देना के भंग (3। मनुष्य लिम मारे भंग १ भंग को० नं०१८ देखो । मारे मंग भंग ५१.४१-४६-७-२२-२४- को नं० देखो वो नं०१५ देखो (२) देवगति में को० न० १६ देखो कोउन १६ देखो २-१६-५-१४-१-१२. ४३-२८-३३-४२-१७.३३ ११-१०-१०.१-५-३-.. ३ के भंग ८५.८१ के भन को नं० १९ देखो का मं० १ दवा ( देवगनि म | मारे भंग भंग ५०-१५-११-36-38-30- को देखो कोनं १६ देखो ४० के मंग को० न०१६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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