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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं. ७९ शुक्ल लेश्या में के भंग २ १४ वर्षान , अंग दर्शन सार भंग १ दर्शन मचक्षु दर्शन, पनु दर्शन (७) तिथंच गति में । को न०१७ देखो कोनं०१७ देखो (१) मनुष्य गति में कोन १८ देखो कोनं.१ देखो अवधि दर्शन. केवलदर्शन २-२ ३-३-२-३ के मंग| ..--:-१ के मंग ये जानना को नं०१७ देखो को.नं. १५ देसो (२) मनुष्य गति में । सारे भग १ दर्सन !(२) देवगति में मंग | 1 दर्शन २-३-३-.-१-२-३ को० नं.१८ देखो कोनं०१८ दखो २-३-३ के भंग को २०१६ देखी 'कोनं०१६ देखो को नं. १६ देखो का नं.१- देखो (३) देवगति में १मंग । १ दर्शन । २-३ का भग को नं० १६ देखो को नं०१६ देखी को नं.१६ देखो १५ लश्या शुक्न नश्या तीनों गतियों में हरेक में पर्याप्तवत जानना १ शुक्ल लस्पा जानना १६ भव्यत्व मंग १ अवस्था १ भंग १ अवस्था भव्य, प्रभव्य नीनों गतियों में हरेक में 1 को० नं. १७-१.-कोनं०१७-१८- दोनों गतियों में हरेक में कोनं. १५-१६ को नं. १ १-१ के मंग । १६ देखो । १६ देखो । २-१ के अंग देखो १९ देखो को००१७-१८-१९ देखो | कोनं०१८-१६ देखी १७ सम्परत्व १ भंग १ सम्यक्त्व सारे भंग १ सम्यस्त्व कोन २६ देखो (तिर्वच गति में को.नं.१७ देखो कोनं. १७ देखो मिश्र घटाकर (५) (1) मनुष्य गति में को.नं०१५ देखो कोनं०१८ देखो १-१-२-२.१के भंग को.नं. १७ देखो को० न०१८ देखो (२) मनुष्य गति में सारे भंग | मम्पवस्व (१) देवर्गात में । सारे मंग सम्यक्त्व १-१-१-३-३-२-:--को००१८ देखो को००१८ देखो १-१-३ के भंग को .नं.१६देखो को नं०१६ देखो १-१-१-३-३ के अंग कोनं०१६ देखो को २०१८ देखो 113) देवगति में । सारे भंग । १ सम्यक्त्वं । १-१-१-०-३-२ के मंग को० नं० १६ देखो को नं० १६ देखो को देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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