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________________ चौंतीस स्थान दर्शन ? निदान वध से 5) (२) चैत्र ध्यान ४ (हिंगाम मृपानन्द चीन परिग्रहान्द २२ वाखव ५५. झाग १, १. आहारक काय ये घटाकर (५५) २३ भाष मिथ्यादर्शन अश्न १ बज्ञान १, ६४ , दर्श अन५ । गति ४ कपाय ४ ६ ३(४) (१) नरकगति में ८६ भंग फो० नं० १६ देखी (२) निच तिने ३६-३८-३१-४०-४१ २१-५० भंग T ! ५२ प्रचि १, fait ?. काग १. को० नं० १७ (३) मनुष्य गति में ५२-५० के भंग को० नं० १० ४) देव में ५००४ के भंग को (3) (१) नरकगति ܪ २६ को ५६ # २४-२५-०७-३१०२७ के को० न० ६० देखी i ( ३२ । कोप्टक सं० १ सारे नंग सारे भंग ००१६१६ सारे भंग कोनं १७ देखी 1 i १ भंग १८ देखी ६ भंग को० नं० १६ देखी १ भंग १ भंग मारे भंग मम वचनयोग ४ ० योग १. वं 3 काययोग ११० कर (२५) (१) नरक गति में ८२ भंग कोनं (२) गि १३३६-४३४४-४३ के भंग ००१० | ( ३ ) मनुष्य गति में १४३ ग ००१ देखी ४) गति में १४२ १ मंग भंग ६ १. मंग मियानगुणस्थान में ०१६ खो ग ३३ सारे मंग को० नं० १६ १६ अधि ज्ञान पटाकर (==) (१) नरकग में २५ का नग १७०० १६ सारे भंग सारे भंग १ भंग को० नं० १६ देखो का०० १६ देखी 1 १ भंग 5 नारे भंग १ भग को० नं० १७ देखो को०० १७ देवो १ भंग को० नं० १= देवो ० नं. १० नंग नं०१८ १ भग १ भंग ० नं०१२को नं० १० गारे भंग १ मंग १६
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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