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________________ चौतीस स्थान दर्शन १२ जन ܕ १३ नंयम ני वेद ज्ञान घटाकर ( 16 ) भूम गय या से २ घटा (४) (9) मनुष्य सारे अंग २५-०१-१७-१३-११-१३ को मं० १८ देखो २४.२० के भंग-को० नं १८ दे (2) देवगति में २४-२० के भंग-को० नं० १६ देशे 15 (3) दि गति में :-1-2-3 के भंग-को नं. १७ देखी | (२) मनुष्यति में ३.३.०३.०३ के भंग क० मं० १० दे (३) देवगति में T १-१-१ के भंग-कोन १७ दे (२) मनुष्य गति में ( ५५३ ) कोष्टक नं० ७७ नारेभंग ३-३ के संग फी नं को नं १६ १६ देवाँ ५. (१) नियंति सारे भंग को० मं० १६ देखो १ मंयंग जानना को० नं०] १६ दे १-१-१-२-३-१ के भंगको० नं० १८ देखी ३ देवगति में १ भंग को० नं० १० देखो १ भंग | को० न० १६ देखो सारे भंग को न० १८ देशों १ मंग को० नं० १८ देखो मारे भंग को० नं० १८ देखो १ ज्ञान को० नं० १३ देखो १ जान को० नं० १८ मे १२ देख १ ज्ञान को ० १२ देवो १ भग १ संयम [को० नं० १७ देखो | की० मं० १७ देखो १ नंगम ००१८ देवो १ मंयम क० नं०६६ देखी को० २०१६ १ भग देखो को० नं० १५ के २५ के. भंग में गं १ नपुंसक वेद घटाकर २४ का मंग जानना १२-११ के भंग - को० २०१५ देखो (५) देवगति में २४-१२ के भंग-को० [को० नं० १६ देखो ५. कुपवधि ज्ञान मनः पर्यय ज्ञान से २ पटा ७ ४ संयम, सामाविक स्थापना, परिहार वि ये (४) जानना (२) मनुष्य गति में १-२ के भंग-को० नं० १८ देखी (३) देवगति में * प्रसंयम जाना ० नं० १६ देखो पीत लेश्या में सारे मंग कौ० ० १० देखो कर (2) मंग (२) मनुष्य गति में २-३-३ के को० नं० १८ देखी सारे मंग (६) देवगति में २-३ के भंग-को० नं० क० नं० १६ देवो १६ देखो १ भंग सारे भंग को० नं० १८ देखो सारे मंग [को० नं० १८ देखी १ मंग [को० नं० १६ देखो " १ भंग को० नं० १९ देखो १ ज्ञान को० नं० १८ देखो १ ज्ञान को० नं० १६ देखो १ संयम १ संयम को० नं० १० देखो संयम को० नं० १६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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