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________________ चौतीस स्थान दर्शन क्र० स्थान सामान्य प्रालाप २ १ गुरण स्थान १ से ४ तक के गुगा १४ २ जोवनमास को० नं० १ देखो पर्याप्त नाना जीव की अपेक्षा ३ (१) नरक गति में १ से ४ (२) विर्यच गति में १ से ४ (३) मनुष्य गति में १ से ४ भोग भूमि में कोई गुगा | नहीं होते । ( ५२० ) कोष्टक नं० ७३ १ के भंग को० नं० १७ देख एक जीव के नाना एक जीव के एक समय में ममय में मारे गुना १. गुरा अपने अपने स्थान के सारे गुण में सारे गुण स्थान से कोई १ गुण ० | जानना जानন ७ पर्याप्त अवस्था १ गमाम (१) नरक और मनुष्य गतियों को० नं० १६-१० में हरेक में देखी १ मंत्री पंचेन्द्रिय पर्या जानना को० २०१६-१= देवी (२) नियंत्र गति मे د i १ समान को० नं० १६१८ देव १ ममाम १ समाय को० नं० १७ देखी कोन० ९७ देखो नाना जीवों की अपेक्षा | ६ 3 (१) नरक मति में १ ले ४थे गुगा जानना (२) नियंचनति में १-२ नुम्ग ० (3) मनुष्य गति में १-२-४ गुण भोग भूमि मे कोई गुम होने (४) देवमति में १-२ गुग्ग० में भंग भवन्त्रक देवों को अपेक्षा होना है। कृष्ण या नील लेश्या में गति में - के य को० नं० १७ दो अपर्याप्त | १ जीव के नाना समय में ७ १ समास प्रति अवस्था १ समाय (१) नरक मनुष्य- देवगति को० नं० १६-१८- कोन० १६.१०में हरेक में १९ देवी १९ देना I । मंत्री अपर्यास अवस्था जानना ० नं० १६-१०-१२ देखी (२) नि एक जीव के एक समय में C 1 सारे गुण स्थान १ गुगा अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान सारे गुण जानना के सारे भंगों में में कोई १ मुगा जानना १ समास को नं० १० दे १ ममाग को० नं० १० देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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