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________________ चौतीस स्थान दर्शन 1 !! २ ३ के हरेक भंग में ऊपर के समान २ दर्शन घटावर २८-३०-२७ I भंग जानना २६-२ के मंग को० नं० १७ के २७-२५ के हरेक भंग में से ऊपर के समान शेष घटाकर २६-२४ के भंग जानना दर्शन | २४-२७ में मंग को० नं० १७ के २६-२९ के हरेक में में ऊपर के समान शेष २ दर्शन घटाकर २४-२७ के भंग जानना (३) मनुष्य गति में I ३०-२८ के मंग को० नं० १५ के ३१-२६ के हरेक मंग में से ऊपर के समान शेष दर्शन | घटाकर ३०-२८ के भंग जानना २८-३१-२६-२१-२५२६-२७-२७-२६-२४२४-२३-२२-२१-२११६-१८ के भंग को० नं० १० के ०-३३३०-३१-२७-३१-१६२१-२६-२७-२६-२५ ( ५०४ } कोष्टक नं० ७१ ४ नारे मग १ मंग को० नं० १= देखो को० नं० १८ देखी Į ६ १ दर्शन घटाकर २४ २६० के २५ का भंग को० नं०१७ के समान जानना २२-२४-२४ के भंग को० नं० १० के २३२५-२५ के हरेक मंग में पर्यावन व १ दर्शन घटाकर २२-२२० के भंग जानना २३-२१ के भंग को० नं० १० के २४-२२ के हरेक भंग मे मे पर्याहवशेष दर्शन घटाकर २३-२१ के भंग जानना २३ का भंग कां० नं० १७ के २५ के भंग में से पर्याप्तत्रत शेष २ दर्जन ढाकर २३ का भंग जानना (३) मनुष्य गति में २६-२० के मंग को नं०१८ के ३०-२८ के हरेक भाग में से पर्याप्तवत् १ दर्शन घटाकर । २६-२७ के भंग जानना । २८-२५ के मंग को० नं०१८ के १० ७ " " मारे मंग को० नं० १८ देखो दर्शन में " १ भंग को० नं० १८ देखो "
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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