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________________ चोतोस स्थान दर्शन १२ श्राहारक २० उपयोग जानोपयोग १, दर्शनोपयोग ३ २१ व्यान १ आहारक आर्त ध्यान ४, रौद्र ध्यान ४, आशा विचय धर्म ध्यान थे (६) २२ मात्रव ५.२ प्रा० मिश्रकाययोग १. आहारक काययोग १. यो मिश्रकामयोग १. दे० मिश्रकाययोग १. कार्मारण काययोग १ ये घटाकर (५२) चारों गतियों में हरेक में १ आहारक जानना को० नं० १६ से १९ देख Y चारों गतियों में हरेक में ३-४ के मंग को० नं० १६ से १६ के हरेक हरेक भंग में में कुमति कुभूत बटारेकम ३ ६ चारों गतियों में हरेक में ८- के मंग को० नं० १६ से १६ देखो ५२ ( ४३१ ) कोष्टक न० ५६ (१) नरक गति में ४६०४४० के संग [को० नं० १६ देखी (२) तियेच गति में मंग में से ५-६ २ कुजान जानना ५१-४६-४२-५०-४५-४१ के मंग कोल्नं० १७ देखी (३) मनुष्य गति में ५१-४६-४२-५०-४५-४१ के मंग को० न० १८ देखो (४) देवगति में ५०-४५-४१-४६-४४-४० के मंग को० नं०] १६ देखा १ भंग को० नं० १६ से १६ देखी | कानं सारे भंग को० नं०] १६ देखो सारे भंग को० नं० १७ देखो कुधि ज्ञान (विभंग) ज्ञान में ६-७-६ सारे भंग को० नं० १८ देखो सारे भंग को० नं० १६ देखो • उपयोग सारे मंग १ प्यान को० नं० १६ से १६ देखी को० नं० १६ से १२ देख ५. J १३ मे १६ देखो १ मंग को० नं०] १६ देखी मंग को० नं० १७ देखो ९ भग को० नं०] १८ देखो १ भंग को० नं० २६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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