SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 458
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौतोस स्थान दर्शन कोष्टक नं. ५८ कुमति-कुथु त ज्ञान में १७ सम्यवत्व | मार भंग १सम्यक्त्व । २ मा भंग । १ सम्यक्त्व मिध्यास्व, मासादन, नरक गति में को० नं. १६ देखो कोन०१६ देखा मिश्र घटाकर (२) . मित्र व ३ जानना १-१-१ के भंग !(१) नरक गति में कोल नं. १६ देखो को.नं.१६ देखो का नं.१ देखो १का भग | ( निये -मनाथ-देव मति में भंग । १ सम्यक्त्व | को नं. १६ देखो हरेक में क०५०१७-१८- कोनं०१७-१८-(२)तिच-मनुष्य-देवगति भंग सम्यश्व १-१-१ के भग । १९ देखो १९ देखो महरेक में को० न०१७-१८- कोनं०१७-१८ को० नं०१७-१८-१६ देखो १-१ के भंग १६ देसो . १६ देखो कानं०१७-१८-१६दे १८ संज्ञी १ भंग १ अवस्था १ मंग अवस्था संशो. असंज्ञी | नरक-मनुष्य-देवगति में को० नं. १६-१८-कोनं०१६-१८(१) नरक-मनुष्य-देवगति को० नं. १६-१८-कोनं १६-१८हरेक में ! १६ देखो १६ देखी | में हरेक में । १९ देखो । १७ देखो १ संजी जानना १ संज्ञी जानना कोनं०१६-१८-१९ देखो। को००१६-१८-१३ देखो (२) निर्यन गति में १ भंग १ अवस्था (३) तिर्यच गति में १ भंग १अवस्था १-१-१-१ के भंग कोन. १७ देखो को नं०१७ देखो १-१-१-१-१-१ केभंग कोन०१७ देखो को नं०१७ देखो को। नं०१७ देखो को० नं. १७ देखो । १६ माहारक प्राहारक, अनाहारक नरक-देव गनियों में को.नं० १६और कोनं०१६और नरक-देव गति में को० नं० १६ पौरको नं०१६ मौर हरेक में १६ देखो १९ देखो , हरेक में । १६ देखो । १६ देखो १ पाहारक जानना । कोन१६ यौर पर देखो कोनं. १६और एह देखो निर्यन-मनप्य गतियों में । १ । तिर्यच-मनुष्य गाया में | १ हरंक में का० नं.१७-१८ को नं. १७-१८ । हरेक में कोल नं०१७-१८ को १३-१५ १-१ के भंग देखो । देखो १-१-१-१ के मंग दवा देखो को न०१७-१८ देखो , को नं० १-१८ देखा। २० उपयोग | भंग १ उपयोग । १ भंग १ उपयोग जानापयोग ३, (१) नई गति में |-४ के अंगों में सं २-४ के मंगों में। (१) नरक गति मे का भग जानना.३ के भंगों में से दर्शनोपयोग, ३-४ के भग । कोई १ भंग जानना में कोई १ उपयोग का भग कोई उपगोग कोर नं. १६ के ४-५ के. | जानना बोनस १४ के भंग में जानना १३.१५ दवा 110 नं० १. ३
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy