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________________ wali-को १६३छो बंध प्रकृतियाँ-१ से गुण में की न.१ मे ७ के समान जानना। वंगुण के ६व भाग में २२ प्रकृति का बन्ध जानना। उक्ष्य प्रकृतियां- " द गुण के अन्तिम भाग में ६६ प्रकृति का जदय जानना । सत्त्व प्रकृतियां १३ प्रकृति भपक थे की अपेक्षा । संख्या-अनन्तानन्त जानना। क्षेत्र-सर्वनोक जानना। स्पर्शन--सर्वलोक जानना । कास नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल जानना । एक जीव को अपेक्षा एक ममय में अन्तम तक [मी एक नोचषाय की अपेक्षा बाननः । अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं, एक जीव की प्रेक्षा अन्त मह जानना । जाति (योनि)- लाख योनि जानना। कुल-१६६ लाख कोटिकुन बानना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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