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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोस्टक २०५५ संज्वलन लोभ कषायों में व०मिश्रकाय योग १ के सारे भंग जानन। के भंगों में। श्री. काययोग १, वैः कारिण काययोग . 'कोई । भंग काययोग १, माहारक ये ३ घटाकर (५१) . काययोग १ ये ११ घटा(१) नरक गति में सारे भंग ' १ भंग । कर (४३) ४६-४१-३७ के भंग को० नं. १६ देतो कोल्नं. १६ देखो (१) नरक गति में नरक गति में । सारे भंग १ भंग को० नं०१६ के YE ३६-३० के भंग वो.नं. १६ देखो कोनं.१६ देखो ४४-४० के हरेक भंग में को नं १६ के ४२-३३. से संज्वलन क्रोध-मान हरेक मंग में से संज्वलन माया ये ३ कषाय घटाकर। कोर-मान-माया ये ३ कपाय घटाकर ३६-३० जानना के भंग जानना (२) तियं च गति में सारै भंग | भंग (२) तिर्यच गति में | सारे भंग १ भंग ३३-३५-३६-३७-४३- को. २०१६ दस्रो कोनं १७ देखो, ३४-३५-३६-३७-४०-को० नं. १७ देखो को नं०१७ देखो ४८-४३-३६-३४-६७ ४१-२६-३०-३१-३२ ४२-३८ के मंग ३५-३६-४०-३५-१० को० नं १७ के ३६ के भंग को नं० १७ ३८-२९-४०-४३-११ के ३७-३८--३६-४०४१-४२-11-५०-४५ ४३-४४-३२-३३४१ के हरेक मंग में मे ३४-३५-३८-हैसंज्वलन क्रोध-मान-माया ४३ -३८-३. के हरेक ये ३ घटाकर ३३-३५ मंग में में संज्वलन क्रोध३१-३-४०-४०-४: मान-माया ये ३ कषाय ३६-३४-४७-४२.-२५ के घटाकर३४-.५-३६भंग जानना ३०-४०-४१-२६-३०(२) मनुष्य गत्ति में सारे भंग १ मंग १-५२-३५-३६-४०४८-४५-३६-३४-१६-को. नं०१८ देखो कोनं०१८ देखो। ३५-३० के भंग जानना १५-१२-१३-१२-११-1 (२) मनुष्य गति में सारे मंग भं ग १. भंन को.नं. १ ४१-15-10-6-0 को.नं.१% देखो कोन०१८ देखो के ५१-४६-४२-३७२२-२०-२२-१६-१५-|
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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