SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 434
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौतीस स्थान दर्शन कोप्टक नम्बर ५५ संज्वलन लोभ कषाय में प्राण को न०१ दे १. ६ का भंग- कां०१६ ३ का भंग को० नं० । १८-१९ देखो 1(निर्वच गति में . १ भंग १ भंग (२) निचंग गति में | १ भंग भंग ६-५-४-६ के भंग को को न०१७ देखा को नं०१७ देखो २-३ के भग को. नं. को.नं. १७ देखो लोन०१७ देखो नं०१७ देखो ।१७ देखो १ भंग । १ मंग भंग भंग १) नरक-मनुष्य-येवमति में को० नं०१६-१/- कोनं०१५-१-(१) नरक-मनुष्य-देवगति को न०१६-१८- को.नं.१६. १६ देखो में हरेक मे १६ देखो १-१६ देखो . १० का मंच-को० नं० ७ का मंग को० नं०१६-: १६-१८-१६ देखो १८-१९ देखो । (तिर्वच गति में मंग भं ग (२) तियेंच गति में भंग १ मंग १०-६-८-०-६-४-१७ के को नं०१७ देखो कोनं०१० देखो ७-७-६-५.४-३-७ के मंगनं ०१७ देखो कोन०१७ देखो भग को० नं.१७ देखो । | को० नं०१७ देखो ५ सजा को नं०१को पक-निर्मच-देवगति में हक में ४ का भंग को० नं०१६ १३.१६ देखा (3) मगुन्य गति में 1-:-..१-१-४ के भंग को० । १- देखो १ अंग भंग भंग वो नं. १६-१७-कोनं०१६-१७- (१) नरकाननियंच-देवनि को नं०१६-१७ | को० नं०१६११ देखो | १६ देशो में हरेक में !१६ खो१ ७-१६ देलो ४ का भंग को० नं. १६.१७-१६ देखो सारे भय मंग का नं०१८ देशो कोनं०१८ देखो ४-४ के भंग की.नं. १८ देतो को.२०१८ देखो को.नं. १८ देबो : गति इन्द्रिय जान को. नं. १ देखो ३ चारों गति मागमा को० नं. १६ से १६ को २०१६ ये । चारों गनि जानना ' को नं १६ म को.नं०१६ में को नं. १६ मे १६ देखो देखो १६ देतो की नं० १६१६ देगो देशो १६ देखो १ जानि जाति को नं.१४ के समान को न०५४ के को० नं०५४ । को० न० ५४ के समान को.नं. १४ देखो कोल. ५४ देखो समान देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy