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________________ चौनांग स्थान दर्शर्शन स्थान नागान्यादान १० १ १० गुण स्थान १ गंगा स्थान 구 916 २ जीव समास को० नं० १ देखी पर्या को० नं० १ दे I पर्या नाना जीवों को अपेक्षा (१) १० में १४ जानना (२) विमान में १ भोभूमि ४ (३ । मनुष्यगति में १ १० गुण जानना भोगनुनि १ से ४ गुगा ० जानना को० नं० १६-१०-१ देखी ७ पर्याप्त अवस्था (१) रकम में हरेक में १ तपस्या (१) निर्वचन में भग ३-१-१ फो० नं० २७ द एक द ३६८ 1 कोष्टक नं० ५५ मारे गुगा स्थान अपने अपने स्थान के गारे गुण जानना जी के नाना एक जीव के एक नमय में समय में १ समारा को० नं० १६-१ १६ देवी (१) नरक में हरे नं ६ नमाग नं. १३ १२-९३ ल १० ४ के अपने स्थान (१) नरकगनि में सारे गा में १ ४ गुना० जानना (२) गति में १ गुग १२ और मोभूमि में १-२-४ गुगा (2) मनुष्य गति में १-२-६ ० जानना | भोगभूमि में १-२-४ गुप ७ अपर्याप्त श्रवम्या ! १ समान १ नाम को० नं० १०० नं० १७ उन १ भंग १ मंग ० नं० २६-१-१६ १६ देतो १५-१६ देखो नाना जीवीं की | चपय ६ | | (१) तरफ मनुष्य-देवगति म हरेक में १ मंत्री पं० आर्याप्त अवरथा जानना को० नं० १६-१८-१६ देवो संग्लन लोभ कषायों में B जीव के माना समय में (5) निर्वत्र गति में 1 ७-९-१ के भंग को० नं० १७ देखी | St. सारे गुगा स्थान पर्यात जानना १. जीव के एक समय में १ मनाम नं १ १ समान 1 १ मुमाग को० नं०१३-१८०००१६ १६ देवो १६८९ F I १ गुर पर्यावत् १ समास को० नं० १७ द १ १ नंग (१) नर-मनुष्य-१६१०००१६में हरेक में १९ देवो १८-१६ देवो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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