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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं. ५४ संज्वलन क्रोध, मान, माया, कषायों में '(२) नियंत्र गन में .:.११.5-८-१० के भंग को नही (3) ग य गति में -1-26-११-3-6-1-5. 1-70ई भंग कोल नं.१८६वा १ मंग ध्यान (नरतगति-देवगति में को न १६-१६ को नं . सौ नं०१७ देखो को१७देखो हरेक में ५-६ के भंग द खी । १६हो कोनं. १६-१६ देखो । (२) तिर्यंच गति में । गरे भंग । १ यान । ६८-६के भंग । ध्यान १ च्यान न.. देखो को.नं.१५ देषो को००१७ देखो को नं १ देरहो कान० बचा (३) मनुष्य गान में । ८-६-E-5 के मन नारे ध्यान न्यान को.नं.१ दरो कारला दान १८ दला पिया कर २६ . ना यौ० भिधकाथांग भागनोयोग १, दचनयोग र मारे भाग १ भस वे. मिश्रकायोग १ --- - पान के पपने अपने बान, पो० काययोग ?. पतितः जाननः पयाग जानना i० मिथकामबाग भारमा जानना । के नारे भंगों में । 4. कायपोग, . कामगि चांग, |ग काई १ भंग | बाहारक कायपान १ ये ४ पटानर ५०1 . य ११ घटाकर (४३) | नरक यति में (१) नरकगति में १६-४१-२ ने भंग । म ग भंग ३६-३0 के मंग : मा भंग ! भग ना नं.१६ के ४३-१४-कोर - देखो जो कोनं. १ ४२- कोयत्रो पो.न.१६ ४० के हक भंग में ये ३३ के हरेक भंग में में सम्न्नन कपाय जिसका पर्यावत संज्वलन कापाय जिसका विचार करी । | टाकर ३६-३० उमका सवार र ३ । भग जानना पाय घटाकर ६-४१. (8) तिच गति में के भंग जानना ४-३५-३६-३36. गार भंग ग ifनयच गम में ३1-24-11-2960-६८. | मारे भंग | १ भग 34-25-23-५-३० ४:-:.-३1.13.20 को. न. १७ इन्दो को.नं.:: भंग पान १ के भग को नं. १ के | 5-3-8-20...-११४६-6-20-2-5.४१
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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