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________________ १ २० उपयोग चौतीस स्थान दर्शन 1 ज्ञानोपयोग ७ दर्शनोपयोग ३, १० जानना २१ ध्यान २ भातं व्यान ४, रौद्र ध्यान ४, धर्मध्यान ४, पृथक्त्ववितर्क विचार १ १३ ध्यान जानना (२) तिराँच गति में १-१ के भंग को० नं० १७ देखो (३) मनुष्य गति में १-१ के मंग को० नं० १८ देखी १० (१) नरक गति में ५-६-६ के भंग को० नं० १६ देखो (२) नियंच गति में 1 को० नं० १८ देखरे (४) देवगति में ५-६-६ के भंग को० नं० १६ देखो ( ३३ ) कोष्टक नं० ५४ १ भंग ३-.-५ ६-६-७-५-६-६ के गंग को० नं० १७ देवो को० नं० १७ देखो (३) मनुष्य गति में 12 (१) तरक- देव गति में हरेक में ४ सारे भंग ५-६-६-७-६-७-९-६ के मंग को० नं० १० देखो ८६-१० के मंग को० नं० १६-११ देखो' १ (२) निरंच गति में को० नं० १७ देखो को० नं० १७ देखी १-१-१-१ के भंग फो० नं० १७ देख (३) मनुष्य गति में १-१-११-१ के मंग को० नं० १८ देखी मारे मंग अपने अपने स्थान के १-१ के मंग को० नं० १० देखो १ भंग को० नं० १६ देखो १ मंग [को० नं० १६ देखो सारे भंग को० नं० १६१६ देखो १ अवस्था दोनों में से कोई १ अवस्था को० नं० १८ देखो १ उपयोग को० नं० १६ देखो १ उपयोग को० नं० १७ देखो १ उपयोग की नं० १८ देखो १ उपयोग को नं १६ देखो 1 संज्वलन क्रोध, मान, माया कषायों में T १ ध्यान को० नं० १९१६ देखो = अवधि मनः पर्वय ज्ञान ये २ घटाकर (८) (१) नरक गति में ४-६ के भंग को० नं० १६ देखो (२) नियंत्र गति में ३-४-४-३-४-४-४-६ के भंग को० नं १७ देखो (३) मनुष्य गति में ४-६-६-४-६ के भंग को० नं० १८ देव (४) देवगति में ४-४-६-६ के मंग को नं० १६ देखो & अपाय विषय १ विपाक विषय १, संस्थान विचय १, पृथक्त्व बिचार ९ ये ४ घटाकर (६) १ भग को० नं० १७ देखो 5 १ अवस्था को० नं० १७ देख सारे ग १ स्था अपने अपने स्थान के कोई १ अवस्था सारे मंग को० नं० १८ देखो [को० नं० १८ देखो १ भंग १ उपयोग १ भंग को० नं १७ मेलो को० नं० १६ देखी को० नं० १६ देखो १ उपयोग को० नं० १७ देख सारे भंग १ उपयोग को० नं० १८ देखो को नं० १८ दे १ मंग 'को० नं० १६ देखो सारे मंग १ उपयोग को० नं १६ देख १ ध्यान
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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