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________________ *चौंतीस स्थान दर्शन । ३४ ) कोष्टक नं० ५० अपगत वेद में २० उपयोग | सारे भंग १ उपयोग सारे मंग१ उपयोग शानोपयो ग ५, शनी- (१) मनुष्य गत्ति में को० नं. १८ देखो को नं०१८ देखो (१) मनुष्य ग में को.नं०१८ देखो कोनं०१८ देखो पयोग ४ जानना । ७-२ के भंग २ का भंग को० नं १८ देखो को न०१८ देखो २१ ध्यान सारे भंग १ ध्यान १ ! सारं भंग १ ध्यान शुक्ल च्यान ४ जानना । (१) मनुष्य गति में ____ को. नं. १६ देशो कोनं.१८ देखो (१मनुष्य गति में का नं० १८ देखो को नं०१८ देखो १-१-१-१ के मंग का मंग को० नं.१८ देखा को० नं०१८ देखो २२ आम्रव सारे भंग १ मंग । सारे भंग १ मंग योग ११, कषाय ४, प्रो. मित्र काययोग अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान प्रौ० मिश्रकाययोग १, पने अपने स्थान के अपने अपने स्थान ये १५ जानना कारिण काययोग १ सारे भंग जानना | सारे के अंगों में कार्माण काययोग १, सरे भंग जानना सारे के अंगों में २ घटाकर (१३) को० नं०१५ देखो से कोई।भग ये २ जानना को नं०१८ देखो | से कोई१ मंय (१) मनुष्य गति में जानना (१) मनुष्य गति में | जानना १३-१२-११-१०-११-६- । कोनं०१८ देखो २-१ केभंग कोनं०१८ देखो ५-० के मंग को० न०१५ देखड़े को० नं०१८ देखो । मारे भंग १ भंग १४ सारे मंगभंग २३ भाव ६३ (१) मनुष्य गति में अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान (१) मनुष्य गति में को००१८ देखो कोनं०१८ देखो उपशम सम्यक्त्व १, २६२५-२४-२३-२३-२१- सारे मंग जानना के मारे भंगों में , १४ का मंग उपगम चारित्र १, २०-१४-12 के भग को००१८ देसो | से काई १ मंग ' को.नं. १८ देखो सायिक माव , को० नं०१८ के समान जानना क्षयोपशम ज्ञान , । जानना दर्शन ३, सन्धि ५, । भनुन्यगति १, काय ४ शुक्ल लेश्या १, अजान १ प्रसिद्धल १, जोवत्व भध्यत्व'१ य (३३)
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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