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________________ ( ३४७ ) कोष्टक नं०५० !तीस स्थान दर्शन अपंगत वेद में १दर्शन को.नं. १५ देखो कोनं.१ देखो लेण्या को नं०१८ देखो कोन०१८ देखो भब्बा २ स्थापना, सूक्ष्म सांपराय कोनं १८ देखो सारे भंग जानना के सारे भंगों में | को० नं. १८ देखो। यथास्यात ये ४ संयम को वं०१८ देखो से कोई १ संयम, जानना १४ दर्शन ४ ४ | सारे भय १दर्शन को नं०१८ दलो ) 'गति में को० नं०१८ देखो कोनं०१८ देखो (१) मनुष्य गति में -के भंग का भय को नं०१५ देखो को.नं. १८ देखो १५ लेल्या शुक्ल लेश्या जानना (१) मध्य गति में को नं०१८ देखो को.नं.१८ देखो (१) मनुष्य गति में १-० के मंग १ का भंग को० न०१८ देखो को न० १८ देखो १६ भब्यत्व भव्य जानना 1 भब्य जानना १७ सम्पक्व | सारे मंग१ सम्यक्त्व - १ उपशम-शायिक स० (१) ममुख्य गति में को न १८ देखो कोनं १- देखो (१) मनुष्य गति में २-१ के भंग १-१ के भंग को नं. १- देखो | को० नं. १८ देखो १८ संशी (१) मनुष्य गति में को० नं० १८ देखो कोनं०१८ देखो (१) मनुष्य गति में १-०के भंग !(0) का भंग को नं० १८ देखो को.नं.१% देसो १६ माहारक २ सारे भंग १ अवस्था माहारका, पनाहारक(१) मनुष्य गति में अपने अपने स्थान में कोनं०१८ देखो (२) मनुष्य मांत में १-१-१ के भंग सारे मंग जानना १-१ के भंग को० नं० १८ देखो 11वें गुरण जानना सूचना-पहला १ का RTE में की.नं०१८ देखो गुण के प्रवेद भाग 1 से १२व गुण तक जानना | सम्यक्त्व : को न० १- देखो कोनारदेखो . को० नं० १८ देखो कोन १८ देखो सारे भंग १अवस्या कोल नं०१५ देखो फोनं.१६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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