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________________ कोष्टक नं०५० अपगत वेद में चौतीस स्थान दर्शन स्थान सामान्य मालाप पर्याप्त एक जीव के नाना एक जीव के एका समय में समय में । पपर्यात १जीव के नाना एक जीव समय में । एक समय में नाना जीद की अपेक्षा नाना जीवों की अपेक्षा मारे गुण स्थान | १ गुण से १४सारे गुण से १४ में से. १३ गूण जानना जानना | कोई १ गुरण कोई, को० नं. १८ देखो सारे गुण स्थान | १ गा. |१३वें गुग जानना १३२ गुरग. १ गुण स्थान ६ १ से १४ तक के (६) वे गुण के प्रवेद भाग मे१वें गुस्प० तक के ६ गूरा स्थान जानना २जीव समास ४ . संजी पं० पर्याप्त अफर (१) मनुष्य गति में १ मंजी पंचेन्द्रिय पर्याप्त कोनं. १८ देखो ३ पर्याप्ति को नं. १ देखो (१) मनुष्य गति में को० नं. १८ देखो (१) मनुप्य गति में १ संजी पंचेन्द्रिय पर्याप्त कोनं०१५ देखो १ भंग मंग मंग का भंग ६ का भंग (1) मनुष्य गति में । ३ का भंग ३ का भंग |३का भंग को.न १-देखो लब्धिरूप का भंग होता है 2 मारे मंग भं ग सारेग ___ सारे मंग को० नं. १८ देखो कोनं. १८ देखो (१) मनुष्य गति में कोनं १८ देखो को नं०१८ देखो २ का भंग | कोनं०१८ । सारे मंग भं ग | सारे भंग । सारे भंग को० नं०१८ देवो कोनं०१८ देखो ( मनूष्य मति में को.नं. १८ देखो कोन०१८ देखो (0) का मंग की.नं. १८ देखो ४ प्राण १० को नं०१देखो (1) मनुष्य गति में १०-४-१ के भंग को००१८ दसो ५ मंजा १. .. परिग्रह मंज्ञा । (१) मनुष्य गति में १-१-० मंग को.नं. १८ देखो ६ गति मनुष्य गति मनुष्यगति जानना | मनुष्य गनि जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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