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________________ चाँतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं.४५ कार्माणकाय योग में ३-४-२ १ भंग १७ देखो ५ संज्ञा को० नं.१ देखो ६ गति को० नं.१ देखो ७ इन्द्रिय जाति को नं०१ देखो (१)नरक पौर देवगति में हरेक में। ७ का भंग-को० नं. । ७का भंग-को-नं. ७ का मंग-को० नं०१६-१६ देखो १६-१६ देखो १६-१६ देखो (२) तिर्यच गति में १ भंग ७-७-६-५-४-३-३ के भंग-कोनं०१७ | कोई १ भग को.नं. कोई १ भंग को.नं. के समान जानमा १७ देखो ३) मनुष्य गति में सारे भंग १ भंग ७-२-७ के भंग-को नं. १८ देखो को० नं०१८ देखो । को० ने०.१८ देखो भंग १ मंग (१) नरक-तिर्य च-देवगति में हरेक में |४ का भंग जानना को. | ४ का भंग-जानना को. ४ का भंग-कोनं०१६-१७-१६ देखो नं.१६-१७-१६ देखो । नं.१६-१७-१६ देखो (२) मनुष्व गति में सारे भंग १ भंग ४.०-४ के भंग-को० नं. १८ देखो। को.नं. १५ देखो - को.नं. १८ देखो १गति चारों गति जानना, को० नं०१६ से १६ देखो, ४ में से कोई १ पत्ति । ४ में से कोई १ गति जाति १जाति (१) भरक-मनुष्य-देवगति में हरेक में को. नं०१६-१५-१६ । को० नं०१६-१८-१९ १ पंचेन्द्रिय जाति जानना-को.नं. १६- देखो १८-१९के समान आनना (२)तियंच गति में जाति जाति ५-१-१ के भंग-को० नं०१७ दलो को देखो को.नं. १७ देखो काय (१) नरक-मनुष्य-दवगति में हरेक में । को० नं. १६-१८-१८ को० नं०१६-१८-१६ १३मकाय जानना-मो.नं. १६-१८-१९ देखो देखो (२) तिर्वच गति में १-४-१ के मंगको न०१७ देखो कनं.१७ देखी को० नं १७ देखो कार्मागाकाय योग जानना - देखो - - - ८काय -- को० नं० १ देखो हयोग कार्माणकाय योग १०वेद को० नं. १ देखो ३ (१) नरक गति में- नपुसक वेद-को को० न० १६ देखो को नं०१६ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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