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________________ । २९५ ) कोष्टक नम्बर ४३ चौतीस स्थान दर्शन वैक्रियिक मिश्रकाय योग में पंचोन्द्रय जाति जाना को न०१६-११ देखो काय प्रसकाय को० नं० १५-१६ देखो को० न०१६-१६ देखो (2) नरक और देवगति में हरेक में १सकाय जानना, को० नं० १६-१६ देखो योग बैंक्रियिक मिश्रकाय योग । १. बेद को.नं.१ देखा कोनं.१ देखो (१) नरक और देवगति में हरेक में को. २०१५-१६ देखो को नं० १६-१६ देखो १ वै. मिश्रकाय योग जानना को० नं०१५-१६ देखो १ वेद १ बेद (१) नरक गति में-१ नपुसक वेद जानना • नं०१६ देखो को.नं. १६ देखो को नं. १६ देखो (२) देवगति में सारे भंग २-१-१ के भंग-का० नं.१६ देखो को.नं. १६ देखो ! को० नं०१६ सारे भंग भंग (१) नरक गति में अपने अपने स्थान के सारे को० न०१६ देखो २३-१६ के भंग-को नं० १६ देखो भंग को० नं० १६ देखो (२) देवगति में सारे मंग २४-२४-११-२३-१६-१६ के मंग-को० नं० । को० नं० १९ देखो ! को० न०११ देना १६ के समान जानना | सारे मंग (१) नरक गति में को.नं.१६ देखो | कोनं.१६ देखो २-३ के मंग-को.नं. १६देखो (२) देवगति में सारे भंग १ज्ञान २-२-३-३ के भंग-को० नं०१६ देखो को.नं. १६ देखो । को.नं. १६ देखो सारे मंग संयम (१) नरक पौर देवगति में हरेक में को न०१६-१६ देसो को नं०१६-१९ देखो १ भसयम जानना को०नं० १६-१६ देखो ३ १मंग १दर्शन (१) नरक गति में को० नं०१६ देखो | को.नं. देखो १२ जान कुमति १. कुथत १, जान ३ से ५ जानना १३ संयम असंयम १४ दर्शन कोः०१६ देसो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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