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________________ चौतीस स्थान दर्शन ( २० ) कोष्टक नं०४० मौदारिक काय योग में (५) भोगभूमि में १ से गुण स्थान में ४१-२३-६ के भग को नं. १७ के १०-४५४. के हरेत भंग में से ऊपर के योग = घटाकर ४२-३७-३३ के भंग जानना (२) मनुष्य गति में १ से ६ मुख में ४३-३८-३४-१९-१४ के मंग को नं०१८ के ५१-४६-४२-३७-२२ के हरेक भंग में मे मनोयोग ४, वचन योग ४ ये योग घटाकर ४३-२८-३४-२६-१४ के भंग जानना ७ से १. गुगण में १४-२-७-६-५-४-३-२-२-1 के मंच कोन १८ के २२-१६-१५-१४-१३-१२-११-१०-१०-६ के हरेक भंग में में ऊपर के - योग घटाकर १४-:-७-६-५-४-2-२-२-१ के ग जानना १३च गुगा में १मौवारिक परपयोग जानना कोनर १देखो भोर भूमि में दिन में ४२-३७-३६ के भंग को नं १८ के ५०-०१४१ के हरेत भंग में से ऊपर के योग एटार ४२.३७-३ के नंग जागना २५ भाद नरकगनि, देवनि ये२ पटाकर ५१ भाव जानना । सारे मंग अपने अपने स्थान के सारे भंग जानना को० नं०१८ देखो सारे भंग अपने अपने ग्यान के मारे भंग जानना को००१८ देखी १ भंग अपने अपने स्थान के हरेक मंगों में में कोई मंग जानना (१) तिर्यच गतिक २४.२५-२७-३१-२६-३०.३२-२१-२२-- के भग की नं०१७ के समान जानना (२) मनुष्य गति में ११-२६-३०-१३-१०-३१-३१-२६-२६-२८-२९. २६-२५-२४.३.२२-२१-०-१४-२७.५-२- २६ के भंग को. नं०१८ के ममान जानना । | अपने अपने स्थान के हरेक मंगों में से कोई भंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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