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________________ चौतीस स्थान दर्शन ( २२६ । कोष्टक ०३१ वायुकायिक जीव में १. वेद १ले गुरष में १ नमक केद ११ कवाय २३ को० नं०२१ देखो सारे भंग '७-८-६ के भंग ले गुग में १ नसब वेद जानना | २३ । सारे भंग को नं. ६० के समान | पर्याप्तवत् जानना ' को न३. देखो १ मंग पर्याप्तवत् जानना १भंग ७-८-६ के भंगों में से कोई १ भंग ! जानना । १ जान दो में से कोई १ज्ञान १२ ज्ञान को नं०७ देखो १ मंग १ भंग २ का भंग को० नं० ३० देखो को.नं. ३. देखो २ का मंग पर्मासवत् जानना १३ संबम १४ दर्शन our १ले गुणों में १ भर्नयम १ले गुण में १प्रचक्षुदर्शन १ १ले गुरण में १ असंयम ले गुमा में १ यचक्षुदर्शन m १५ लेश्या अशुभलेश्या को न० ३० देखो को.नं. ३० देखो | ३ का मंग १ लण्या ३ का भंग ३ में से कोई, | लेश्या जानना। १ अवस्था १अवस्था । दोनों में से कोई १ दो में से कोई १ १ लेश्या ३ के अंग में से कोई १ लेश्या अवस्था पर्याभवत १६ भव्यत्व को० नं०३० देखो को.नं३० देखो को.नं. ३० देखो १अवस्था दो में से कोई १७ सम्यक्त्व १८ संजी ने मुरण में १ मिथ्याव जानना १ले गुग में १प्रसंजी जानना १ले गुण में १ मिथ्यात्व जानना १२ गुण में १ असंही M १६ पाहारक पाहारक, अनाहारक १ले गुरण में १ माहारक जानना - को० नं० ३० के समान दोनों पदस्था । १ अवस्था दो में से कोई २० उपयोग को.नं०२१ देखो। को.नं. ३० देखो ३ का भग १उपयोग ३ में से कोई | कोनं० ३० देखो १ उपयोग । १ भंग ३ का भंग १ उपयोग पर्यासवत्
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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