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________________ चौतीस स्थान दर्शन लामा न्य झालाप स्थान १ मुग स्थान E २ जीवसमास को० नं० २१ देखो ३ पर्याप्ति को० नं० २१ देखो ४ प्रा #D को० नं० २१ देखो ५ सजा को० नं० २१ देखो ६ गत ७ इन्द्रिय जाति काय १ ३ ६ यांग को० नं० ११ देखो I ! की १ मिथ्यात्व जानना २ को० नं० ५१ के समान Y को० नं० २१ के समान पयांम ४ को० नं० २१ के समान ४ को० नं० २१ के समान १ ले # गुण १ तियं गति गुगा मे १ केन्द्रिय जाति १ले गुगा० वायुकाय १ १ ले गुण में १ प्र० का सांग ० म • एक जीव के नाना एक जीव के एक समय भ I समय में 1 ( २२८ ) कोष्टक नं० ३१ १ समास २ में से कोई १ समास जानना १ नग ४ का भग १ भंग ४ का भंग १ ग ४ का भंग १ ५. ? १ समास २ में से कोई १ समास जानना | १ भंग ४ का भंग १ मंग ४ का भंग १ भंग ४ का भंग १ १ अपर्याप्त | नाना जी की अपेक्षा वायुकायिक जीव में मिथ्यात्व गुण स्थान मूल गुण में को० नं० २० के समान ३ को० नं० ३० के समान ३ को० नं० ३० के समान " को० नं० ३० के समान शनि कृप में १ निच गति १ गुगा में १ एकेन्द्रिय जानि 5 १ल गुग्गा म १ वायुकाय जानना गाय के नाना गमय में 2 १ समास पर्याप्तवत् १ मंग ३ का भंग १ भंग ३ का भंग १ मंग ४ का मंग ६ एक जीव के एक समय में १ समास पर्या १ भंग ३ का भंग १ भंग ३ का मंग १ भंग ४ का भंग १ भग १ योग को नं० ३० के समान को० नं० ३० दलों को० नं० ३० देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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