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________________ कोष्टक नं. २९ जल कायिक जीव में चौतीस स्थान दर्शन • स्थान | शानाम । पर्याप्त अपर्याप्त नाना बीद की अपेक्षा एक जाव कनाना एक जाब एक . समय में नाना जीवों की अपेक्षा १जायक नाना एक जीव क समय में एक समय में 1 गुग स्थान २ मिथ्यात्व, सासादन १ मिथ्यात्व जानता १जीवसमास को० नं. २१ देखो को० नं.१ के समान | १ समास को.नं. २१ को० नं. २१ के समान | ४ का मंग पर्याप्ति को नः २१ देखो ४ प्राण कोनं० २१ देखी । ५ सज्ञा को.नं.२१ देवा । ६ गति कोनं० २१ के समान मियान्व, सःसादन दोनों गुण दो में से कोई १ गुण्ड । १क समास १ समास १समास को न० २१ | २-१ के मंग को० नं. को० नं० २१ को नं. २१ - देखो । २१ के समान देखो देखो १ मंग १ मंग ४ का मंग को० नं० २१ के समान | ३ का भंग ३ का भंग १ भंग भंग । १भंग ४ का मंग नं. २१ के समान ३ का भंग ३ का भंग १ भंग १ भंग १ भंग को नं०२१ के समान | ४ का मंग४ का अंग १ले रे गुण में १ नियंच गति ने रेगुग में १ एकेन्द्रिय जाति १ले रे गुन्ग १ १जलकाम जानना , १ भंग १योग को नं० २१ के समान को नं. २१ को.नं. २१ ७ इन्द्रिय जाति को नं० २१ के समान १ले गृगा. में १निर्यच गति ले गगण में १ कन्द्रिय जाति रले गुण में जनकाय काय । योग को.नं० २१ देखो ले गुमा में मौका योग को.नं. १७को देसो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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