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________________ चौतीस स्थान दर्शन सामान्य ० स्थल | पालाप . प्राला कोष्टक नं० २६ संजीपंचेन्द्रिय जीव में पांत पपर्याप्त एक जाव के नाना नरक जीव के एक! ।१जोव के माना एक जीव के । समय में मम्य में | नाना जीवों की अपेक्षा समय में एक समय में नाना जीव की अपेक्षा - - १ गुग स्थान १४ को नं. १८ देखो सारे गुण १ गुण मूचना-मपरे । अपने अग्ने मपने स्थान के स्थान के गुण सारे भंग जानना | में से कोई १-२-४-६-१३ | मुरग स्थान के गुण गाना | जानना ! मारे गुण स्थान १ १४ तक के गुग्ग. मूचना-अपने (१) नरकगति में अपने स्थान के १४ गा० जानना मारे भंग जानना लियंच गनि में | १ से ४ गुणा १ से ५. गुगा० कर्मभूगी में से १ ने गुगल भांगभूमी में । १४ . (3) मनुष्य मनि १ मे १८ गण फनभुनो में ' मे. १ म ४ गुगप भोगभूमी में , (1) गति में १४ गगा जानना का नं. १ मां १.२-४-६-१३ गुण. । अपन अपने (1) नरक गति में | स्थान के १-२-४ गुरण जानना | गुग्ण० में में | (निर्थच गति में कोई एक १-२ मुगा. कर्मभूमी में गुग्ग-स्थान १-२-४ गुग्गः भोममो में जानना । (३) मन प्य गति में १-5-6-:-१३ गुगा । वर्मभुमी में जानना १.२-४ सुराग भांगभूमी में (४) देव मनि में १.२-४ मा जानना को मे १९ । २ जीवनमाम संजीपं चन्द्रिय व्याज ये समास १समास | हरेक गति में हरेक गति में १ संज्ञोपचन्द्रिय : १ मंही पं. अपयांत समास | समास जानना जानना चागं गलियों में नक गनिम कौर नियंच चौर मनाय गति के मांगनी में १ सपरिका पर्शन प्रदम्थः जनता की १ स १६ देखो जा ननागनमास हक गति में ! हरेक ननि चारों गतियों में का सही में! नंजी पर हरेक गति में चौर पं० प न ममास | पांग्न समाम | निरंच मनुष्य गनि में जानना जानना भोग भूमं से १ममी पं० अपर्याप्त अवस्था जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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