SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं० २२ द्वी द्रय १ मंग १ याहार पति के । समय माहारक जानना २० उपयोग १ उपयोग | १ उपयोग कुमति, कुथ ति ल गुण. में | ३ का बम ३ के मंग में से ले रे गुग में ३का भंग ३ के भग में से प्रया दर्शन ये (2) का भंग को० नं०१७ के | कोई १ उपयोग ३ का अंग पर्मस्वत् काई ? उपयोग समान २१ ध्यान १ भंग १ ध्यान अातंत्र्यान ४, १ले गण में ले रेगुण में | ८ का भग के भंग में से रौद्रश्यान ४ ये (0) |८ का भंग को० नं. १७ के 1- का भंग को.नं. १७ कोई ध्यान समान के समान जानना २२ पाश्रब ४० । सारे भंग १ भंग सारे भंग १ मंग मिथ्यात्व ५, अविरत कार्माण कारयोग १ सौदारिक काययोग १ (हिमक का द्वीन्द्रिय | और मिथ काययोग ? अनुभप वपनयोग १ जाति के स्पर्शन रस- २ पटाकर (३८) ले गुग में ११ से १८ तक | ये २ पटाकर (३८) नेन्द्रिय विषय २+हित्य ले गुण. में | ११ से १८ तक के के भंग में से कोई ले गुग में ६ ये ) कषाय २३ । ३७ का मग को नं०१७ के | भंग को नं०१८ | १ मंग जानना | ३५का भंग ११ से १८सक के ११ से १८ तक योग ये (४०) समान जानना देखो को ना १७ के समान | अंग पर्याप्तवत् । के मंगों में से रे युग में कोई१भंग ३३ का भंग ऊपर के ३८१०ये १७ तक के १० से १७ तक के भंग में से मिथ्यात्व : भंग जानना के भंगों में से घटाकर ३३ का मंग | कोई १ भंग जानना २३ भाव २४ २४ १मंग १ भंग २४ को नं०२१ देखो ५ले गुण. में १७ का भंग १७ के भंग में से ले गुणन में से गुरण में १७ के मंग में से २४ का मंग को नं०१७के कोनं०१ देखो | कोई १ भंग | २४ का भंग को० नं०१७ का भंग को. | कोई अंग समान जानना जानना |१७ के समान जानना नं.१८ देखो | जानना रे गुण में २रे गुरण में |१६ के मंगों में २२ का भग को० नं. १६ का मंग की. से कोई १ भंग १८ देखो नं०१८ देखो । जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy