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________________ तीस स्थान दर्शन [को० नं० १ देखी ६ गति ७ इन्द्रिय जाति १ यकाय ६ योग औ० मिश्रका योग १ औदारिककाय योग १ कामरणकाय योग १ अनुभय वचन योग ? ये ४ योग जानना १० बंद २३ ११ कपाय स्त्री-पुरुषवेद घटा र (२) १ से गुग्गु० में ४ का मंग को० नं० १७ के समान 2 १ ले गुर में १ निर्यव गति १ ले गु० में १ वान्द्रिय जाति श्ले पें गुगा 9 २ औ० काय योग अनुमय वचन योग ये २ जानना १ ले गुण० में २ का भंग को० नं० १७ के समान १ १ { ?=? ) कोष्टक नं० २२ ४ का भय १ १ भंग २ का मंग १ ले पुरष० में १ नपुंसक वेद २३ सारे भंग ७-८-६ के गंग श्के गुण में レ २३ का भंग को० नं० १७ को० नं० १८ देखो के समान '४ का मंग १ यांग २ के बंग में से कोई १ योग जानना १ मंग ७ ८-६ के भंगों में से कोई १ मंग जानना १ले २२ मुख० में ४ का भग क नं. ० १७ के समान १ सिर्वच गति १ वान्द्रिय जानि १ चसकाय २ १ चौ० मित्रकाय योग १ कामरणकाय योग ये २ जानना १-२ के मंग १ले २रे गुण ० में १ का भंग-विग्रहगति में कामकाय योग जानना २ का मंग-प्रहार पर्या प्ति के समय कार्माणकाय योग श्र० ! मिश्र योग जानना १ले २ रे गु० में १ नपुंसक वेद जानना २३ १ले १४ गुणा में P २३ का भंग गर्यासवत जानना द्वीन्द्रिय ४ का भंग १ १ भंग १-२ के मंगों में से कोई १ अंग सारे भंग ७-६-६ के भंग | को० नं० १८ देखो ४ का रंग १ १ योग १-२ के मंगों में से कोई १ योग जानना १ घ ७-८० के मंगों में से कोई १ भंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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