SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 213
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौतीस स्थान दर्शन कोप्टक नं० २१ एकेन्द्रिय १ पान १ भंग । १ घ्य न । ? अंग प्यान मातं यान न गुग में - कामग .: कभम में म न र गुगाम = का मंग .८के मंग में से गैन्यान ४ य (5) | - काग को न०१७ के कोई ध्यान ! ८ का भग पर्याप्तवत् कोई १ च्यान समान जानना २२ भासवर । सारे भंग . मंग ३७ सारे भग मिया, अविरत । कामांन्ग काययं ग १, ११ से १८ तक के ११८ तक को कायाम १ घटाकर मचना-अपने अपने सारे भाग में से अ (दिमक एकेन्द्रिय नों निकाययोग १, भंग को००१८ के भंगों में में कोई (4) स्थान के सारे मंग. कोई १ मंग जाति का स्पर्शनन्द्रिय ये २ घटाकर (३६) समान १भंग जानना ७-३२ के भंग जानना जानना विषय १ . हिस्य १ले गुग में श्ले नरम में ११ न क के ११ से १८ तक के 4 ) स्त्री-पुरुष बंद ३६ का अंग को नं. १७ ३७ का भग को न भंग जानना भंगों में से कोई घटाकर कपाय २३, के समान भंग जानना योग ३ये ३८ जानना रे नृगण में १० से १२नक के १० से १७ तक २ का अंग ऊपर के मंग कोन के के मंगों में से २३ भाव २४ ३७ के भंग में से मिथ्यात्व: समान कोई ? भंग कुज्ञान २, प्रचक्ष दर्शन L, घटाकर.३२ का भंग जानना १, लब्धि, तिर्यच । २४ १ मंग २४ । भंग । भंग गति , कषाय ४, | ले गुग में १७ का भंग १७ के अंगों में से २४-२२ के मंग अपने अपने स्थान के १७ के भंगों में से नपुंसक लिंग १, अशुभ २४ का भंग | को० नं १८ के | कोई १ भंग | ने गुण में १ मंग | कोई १ भम तेश्या ३, मिच्या दर्शन कोनं १७ के समान जानना समान जानना २४ का भंग को० न० | १७ का मंग जानना १, असंयम १, अज्ञान १३ के समान जानना | पर्याप्तवत् जानना १, प्रसिद्धत्व१,पाणा रे गुण में । मिक भाव ३ ये २४ २२ का भंग ऊपर के | १६ का भंग १६ के भंगों में से जानना २४ के भंग में में मिथ्या-| को० नं०१८के । कोई मंग दर्शन १, अभव्य १ ये | समान समान जानना २ घटाकर २२ का भंग का० नं १७ देखा
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy