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________________ t १० वेद ६योग ३ १. श्री० मिश्रकाययोग १, भी० काययोग काकाययोग १. ये ३ योग जानना ११ कृपाय चौंतीस स्थान दर्शन २३ स्त्री-पुरुष वेद घटाकर (२३) १२ ज्ञान २ १३ संयम १४ दर्शन २ कुमति श्रुतये (२) ३ १ ले गुग० में १ श्रदारिक काययोग जानना को० नं० १७ देखो १ नपुंसक वेद जानना १ ले गुण ० ० में १ नपुंसक वेद जानना २३ १ले गु० में २ का मंग को० नं० १७ के नपुंसक वेद सारे भंग ७-८-६ के मंग २३ का मंग को० नं० १७ के को० नं० १८ देखो समान जानना १ले गुण ० के समान जानना १] गुगा में १ समयम १ गुण में १ प्रचक्षु दर्शन ( १७६ १ कोष्टक नं० २१ श्री. काययोग जानना १ मंग २ का भंग १ ५ १ ओ० काययोग जानना . नपुंसक वेद १ मंग ७-८-8 के मंगों में से कोई १ भंग १ जान . २ के मंग में से कोई १ ज्ञान ६ + का काययोग १, औ० मित्र काययोग १, ये २ योग जानना १-२ के भंग १ले २३ गुरा में १ का भंग विग्रह गति में कार्मास काययोग जानना का भंग भाहार पर्याप्त की अवस्था में काम काययोग और प्रो० मिश्रकामयोग मे २ का भंग जानना १ १ले २ रे गुला० में नपुंसक वेद जानना २३ १ले २२ गुण० में २३ का पंग पर्यातत्रत् १ जानना २ १ले २३ २ का मंग पर्याप्तत् Te में १ २२ में ९ असक्षम १ २२ गुरण० १ अचक्षु दर्शन में एकेन्द्रिय १ भंग १ योग १-२ के भंग में से १-२ के मंगों में कोई १ भंग से कोई १ योग जानना : जानना नपुंसक वेद नपुंसक वेद सारे भंग १ मंग ७-८-६ के मंग ७-८-६ के भंग में को० नं० १८ देखो से कोई १ भंग १ मंग २ का मंग १ ज्ञान २ के मंग में से कोई १ ज्ञान
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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