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चोतोस स्थान दर्शन
सामान्य मालाप
क
स्थान
कोष्टक नं० २१
एकेन्द्रिय पर्याप्त
अपर्याप्त एक जीव के नामा एक जीव के एक।
१जीव नाना एक जीव के | ममय में | नाना जीवों को अपेक्षा समय में । एक समय में
नाना जोब को प्रपेशा
१-समास
बग्दर
"
|
१ गुण स्थान र . मिथ्यात्व, सास दन 'मिथ्यात्व गृण. डानना
मिथ्यात्व, सासादन | दोनों जानना कोई १ गुण. २ जीवसमास ४ ।।
१समास ममास ।
१ममास एकेन्द्रिय नृश्ग पर्याप्त १ये गुण में २ में से कोई '३ मे कोई।।
-:मागों में से | २-१ के भंगों " बादर ' | २ का मंग :न्दिय मम . . ' समान जानना ! समास जाननाले मुग में कोई १ समास में से कोई " सूक्ष्म अपर्याप्त और दादर राप्त २ जना |
२ का भंग एकेन्द्रिय
समास
सूक्ष्म पोर बादर अपर्याप्त ये ४ जानना
में मों जानना
२रे गुगा स्थान में [१ का भंग एकेन्द्रिय बादर
| अपर्याप्त हो जानना । ३ पर्याप्ति १ भंग
१ भंग १ भंग याहार, मगर, इन्द्रिय, ले नूगा. में ४ का भंग जानना ४ का भंग जानना श्वासोवास घटकर (2)
पासापास पटाकर दि) ३ का भंग ३ का भंग श्वासोच्छवाम ये ४ का भंग को० नं. १७
ले २रे भुगा में | जानना के समान जानना
३का भंग को० नं. १७
समान जानना
सञ्चि रूप पर्याति ४ागा घाय, कापचन, स्पर्धले गुण में ४का भंग जानना ४का भग जाननाम्यामोच्छणस घटाकर
३ का भंग | ३ का मंच नेन्द्रिय, वामो ये ४ ४ का भंग को न०१७
ले रे मुरग में प्रग मानना के मनान जानना
का अंगकोर नं.१० समान जानना ।
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