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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं० २० गति रहित में या भगवान में २२ प्रालय २३ भाद ५ भाद बानना मानव रहित जानना अधिक जान, सादिक दर्शन, दायिक वीर्य, | ५ भाव जानना क्षायिक सम्यक्त्व, जीवत्व ये ५ भाव जानता सूचना-कोई पाचार्य क्षायिक भाव और जीवत्व १ये १. भाव मानते हैं। अवगाहना-३॥ हाथ से ५२५ धनुष तक जानना । बंध प्रकृति-प्रबंध जाननः । उक्ष्य प्रकृतियां-अनुष्य जानना । साव प्रकृतियां-असत्ता जानना । संख्या प्रतन्तसिद्ध जानना । क्षेत्र-१५ लास योजन सिद्ध शिला (सिद्धों का प्रावास) जानना । स्पर्शन-सिद्ध भगवान् स्थित है।। काल सर्वकाल (अनन्तानन्त काल) जानना । अन्तर-अन्तर नहीं। जाति (योनि) यहां जाति नहीं। कुल-यहां कुल नहीं।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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