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पौतीस स्थान दर्शन
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सूचना - भोग भूमि में चारों गुणस्थानों में तीन शुभ दया ही होती है (देखो गो० क० ना० ४.४६)
( १४७ )
कोष्टक नं० १०
५७ के भं
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ऊपर के समान अनेक प्रकार के भंग जानना
६० में सवेद भाग में
१७ का मंग ऊपर के ये गुरण स्थान के
समान जानना सवेद भाग में
१६ का मंग
ऊपर के सवेद भाग के १७ के भंग में से कोई लिंग घटकर १६ का भंग बानना सूचना-इम १६ के भंग मे भी ऊपर के समान अनेक प्रकार के भंग जनना
१०वे गुरण 10 मे
१६ का भंग उपटयम या क्षायिक सम्यक्त्व में से कोई १ सम्यक्व, उपशम या आर्थिक चारित्र में से कोई बारि मति आदि चार ज्ञानों में से कोई १ ज्ञान तीन दर्शनों में से कोई १ दर्शन, अयोपणम लब्धि ५. मनुष्यति १ सूक्ष्म लोभ १, शुकन लेख्या १, प्रज्ञान १. प्रसिद्धव १ भन्द १, जीवश्व १ ये १६ का भंग जानना सूचना-इस १६ के भंग में भी ऊपर के समान अनेक प्रकार के भंग जानना
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मवेद भाग मे १७
। भंगों में से करें १ भंग जानना
प्रवेद भाग में १६ के मंगों में से कोई १ मंग जानना
१६ के अंगों में मे कोई १ नं
जानना
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मनुष्य गति
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