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________________ १३६ ) कोष्टक नमार १९ मनुष्य गति चौनस स्थान दर्शन |_२... । ५ । योग गिननी में नहीं पायगा स्वे गुगण में सवेद भाग में ३ का भंग कोई १ योग, काई ३का भंग जानना १ वेद और संज्वलन कवाय में मे कोई, कषाय, ये३ का भंग जानना प्रवेद भाम मे . २ का भंग • का भंग जानना बादरलोभ कषाय १, कोर्ट। योग ये २ का भंग जानना १०वे गूगा में उका भंग २ का भंग जानना तृष्म नोभरुषाय १ और कोई योग, ये का भंग जानना ११-१२-१३वे गुण में १ का भंग जानना १का भंग काई १ बांग जानना १४ गुग में (०)का रंग या कोई योग नहीं होता भोग भूमि में ये गुगा. में ? ये १- क के अंगों " म १८ नक के भंग में में कोई १ भंग जानना ऊपर के कर्म भूमि के मामान पन्त यहां हरेक भंग में जानना परन्तु यहा हरेक भंग स्त्री गुरुप इन दोनों वेदी । म नपुसक बद छोड़कर स्वी- : में में कोई वेद जानना । पण इन दोनों में में बोर्ड र वंद जान्ना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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