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स्थान दर्शन
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भाग- कासग में मंज्वनन ।
कोष मान-माय लोभ ये ९ का भंग
| ५ त्रे भाग में ३ का भंग मानमाया-लोभ
का भंग
जानता
२ का भग गायाका भंग
लोभ
जान
७ भाग में ? का भंग बादर लोभ-कृपाय जानना १०वे गुण० में
१ नुम लोभ कलाय जानना ११ मे १४ तक के गुगा में (c) का भंग इन नारों गुण स्थान में कपाय नहीं है
गन्य का भंग दिख गया
गया है
(२) भोग भूमि में श्ले गुण० मैं २४ का भंग ऊपर के कर्म भूमि के २५ के मंग में से एक नपुंसक वेद घटाकर २४ का भंग जानना ३२ ४ २० का मंग भूमि के २१ नपुंसक वेद १ का भंग जानना
गुण 新 ऊपर के कर्म के भंग में में घटाकर २०
( १९१ ) कोष्टक नबर १८
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२५ गु० में ७६ के भग ऊपर के ले गुग्ग० में लिग अनुमार जाननां
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के अंगों में से कोई भंग
जानना
४०६७-६८ के भर्ती ६-७ के भंग में से कोई १ भंग ऊपर के ७-८ के जानना हरेक अंग में से अनन्तानुबंध कषाय की एक एक प्रस्था घटाकर ६-७ के मंग जानना प्रर्थात् ७-६ के हरेक भंग मेमे
धी
कपास की एग एक पवस्था १-१-१ घटाए कर शेष ६-७-८ के
| भंग जानना
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मनुष्य गति
७