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________________ चौतोस स्थान दर्शन कोष्टक नं. १८ मनुष्य गति क्रमांक नं० नाम स्थान मान्य लाप पर्याप्त अपर्यात ।एक जान कनाना एक जीव कएका १जीब कनाना एक जोब के समय में । नाना जीवों की पेक्षा समय में । एक समय में नाना जीव को अपेक्षा । ममय में जानना १ गुण स्थान १४ सारे गुण स्थान | गुगल | सारे गुण स्थान है एक (१) मिथ्यात्व (१) कर्म भूमि में में १४ सारे गम्ग०११८ गगा (१) कर्म भूमि में 1-1-1-६-१३ | पांच मुरग में (२) सासादन १ मे १४ मारे गुगा जानना ! कोई? गगग : -:-:-:-: म . गुग स्थान में कोई १ गुण. (३) मिथ (E) भोग भूमि में |१से ४ तक के । ४ कोई गम स्थान जामना । जानना जामना (४) समयम(यविरत) १ मे ४ नक के गुगा | स्थान जानना १ गुना ब) मरग को अपमा -- ये तीनों नीनों में से कोई (५) श मंयन ले रे ४ मुगा म्यान गगग. जानना १ गुण (संयमामंयम) जाना (६) प्रमत्त (७) मप्रमन (ब) माहारक शरीर को वा मुगावा गुग्ग(4) अपूर्वकराम प्रपेक्षा वा गुगा. जानना। जानना 18) अ वृत्तिकरण (4.) केवल ममदधात की १ः गुगार व गुगाः (१०) सूक्ष्म मापाय अपेक्षा वेग जानना (११) उपगन कषाय जानना मा). ( भाग भूमि में -- नोन नानां गुगाल में (११क्षीगा कपाय (मोह। ने नग : दुग जानना में कोई गुगग (१३) सयोग केवली जानना जानना (१४) रोग केवली २ जीवसमाम ममाम माग नमःम मज्ञा परेन्द्रिय पर्याप्त (५) कर्म भूमि (१) कर्म भूमि में मोर मयांतरे से १४ जुग में मनी पंचभिय, मंजी पं. १-२-४-:-: मःमः: मी अपर्याप्त मनी पं. १ नंनी पंचन्द्रिय पयांम अचम्ना गर्यन नोव समास पर्याप्त जानना मंत्री पंचेदिय गति जानना अपात जानना जानना अवस्था जानना | माग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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